पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण करने की क्रियाविधि लिखिए

पौधों द्वारा मृदा से पोषकों को शोषित करने की क्रियाविधि (mechanism of nutrient uptake in hindi) — सभी फसलों के पौधे पोषक तत्वों को मृदा घोल से जड़ों द्वारा शोषित करते हैं । अधिकांश पोषक पौधों की जड़ों द्वारा आयनों के रूप में ग्रहण किये जाते हैं । जड़ों द्वारा पोषकों के शोषण की विधि को जड़ पोषण (root uptake of nutrition) कहते हैं ।

पौधे पोषकों को पत्तियों के स्टोमेटा (stomata) द्वारा भी शोषित करते हैं । प्रायः पौधे कार्बन को CO2 के रूप में पत्तियों के स्टोमेटा द्वारा ही ग्रहण करते हैं ।

जल भी अल्प मात्रा में स्टोमेटा द्वारा ग्रहण किया जाता है । पत्तियों द्वारा अन्य पोषक भी शोषित किये जा सकते हैं । इस विधि को पर्ण पोषण (foliar nutrition) कहते हैं ।


पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण किस प्रकार होता है? | mechanism of nutrient uptake in hindi

पौधे अपनी जड़ों द्वारा अधिकांश पोषक मृदा घोल से धनायन या ऋणायन रूप में प्राप्त करते हैं ।

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पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण करने की क्रियाविधि लिखिए

पादप जड़ों द्वारा पोषकों का अवशोषण निम्न तीन प्रकार से होता है -

  1. जड़ें मृदा में प्रवेश करके मृदा कोलॉइड्स के सम्पर्क में आती हैं । इस प्रकार जड़ें मृदा कलिल तथा उन पर धारित पोषकों की ओर गति करती हैं । इसे जड़ अवरोघ (root interception) कहते हैं ।
  2. कुछ पोषक जल सहित जड़ों की ओर गति करते हैं । इन्हें पौधे अपनी सामान्य वृद्धि के लिये ग्रहण कर लेते हैं । इस प्रकार गति होना समूह बहाव (mass flow) कहलाता है ।
  3. जड़ों द्वारा पोषकों के शोषित होने से जड़ों के अति समीप बाहरी क्षेत्र तथा मृदा क्षेत्र के मध्य एक सान्द्रण का उतार - चढ़ाव (concentration gradient) स्थापित हो जाता है । फलत: पोषक तत्वों के आयनों का विसरण (diffusion) जड़ों की ओर हो जाता है । पौधों की जड़ों में Ca++ तथा NO3- आदि विसरण द्वारा ही प्रवेश करते हैं ।


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पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण करने की क्रियाविधि लिखिए? | mechanism of nutrient uptake in hindi


पौधों द्वारा आयन अवशोषण की क्रियाविधि के विषय में वर्तमान विचारधारा के अनुसार आयन्स जड़ों में विसरण, विनिमय (exchange) तथा वाहकों (carriers) अथवा उपापचयी आयन बन्धक यौगिकों (metabolic ton binding compounds) की क्रियाओं द्वारा प्रवेश करते हैं ।

इन तीनो क्रियाविधियों में जड़ पद्धति के दो अवयव होते हैं जिन्हें बाह्य स्थान (space) तथा आन्तरिक स्थान कहते हैं । बाहरी स्थान में आयनों का अवशोषण विसरण तथा विनिमय उपक्रमों द्वारा नियन्त्रित होता है । आन्तरिक स्थान में आयनों का अवशोषण उपापचयी होता है जिसमें जड़ कोशा (root cell) द्वारा ऊर्जा व्यय होती है ।

वाहक जो उपापचय (metabolism) से उत्पन्न पदार्थ होते हैं, स्वतन्त्र आयनों से संयोग करते हैं । ये वाहक आयन जटिल उन झिल्ली में को पार हो सकते हैं जिनमें स्वतन्त्र पारगम्य (permeable) नहीं होते ।

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इस वाहक - आयन जटिल के टूटने से आयन कोष के आन्तरिक स्थान में मुक्त हो जाते हैं । वाहक अर्थात आयन बन्धन यौगिकों की प्रकृति के बारे में पूर्ण रूप से स्पष्ट जानकारी नहीं है ।

एक विचारधारा के अनुसार वाहक रिबोन्यूक्लियो प्रोटीन्स होते हैं जिनमें न्यूक्लिक अम्ल धनायनों को और प्रोटीन ऋणायनों को बाँधते हैं ।


पौधों में पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक लिखिए?


पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक -

1. मृदा सम्बन्धी कारक

  • मृदा की भौतिक दशा
  • पोपकों की प्राप्यता
  • अन्य आयनों की सान्द्रता
  • जल की प्राप्यता
  • मृदा पी एच
  • तापमान

2. पादप सम्बन्धी कारक

  • जड़ तन्त्र का स्वभाव एवं विस्तार
  • जड़ पृष्ठ पर आयन विनिमय स्थानों की संख्या
  • आयु तथा वृद्धि दर
  • वाष्पोत्सर्जन दर
  • श्वसन दर


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1. मृदा सम्बन्धी कारकों का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार कर सकते हैं —


मृदा की भौतिक दशा -

मृदा संरचना खराब होने, मृदा पृष्ठ के नीचे कठोर परत होने अथवा खेत में ढ़ेले होने का जड़ों के विकास पर कुप्रभाव पड़ता है । ऐसी दशा में पादप पोषकों का अवशोषण कम होता है ।


पोषकों की प्राप्यता -

मृदा विलयन में पोषक तत्वों की अधिक मात्रा होने पर इनका अवशोषण अधिक होता है ।


अन्य आयनों की सान्द्रता -

कैल्सियम की अधिकता में पोटेशियम का अवशोषण कम होता है और आयरन की अधिकता में जिंक का अवशोषण कम होता है ।


जल की प्राप्यता -

मृदा में पोषक तत्वों के स्थानान्तरण के लिये जल एक माध्यम होता है । अतः जल की कमी में पोषक तत्व जड़ की ओर कम स्थानान्तरित होते हैं और पोषकों का अवशोषण कम होता है । जल के आधिक्य में ऑक्सीजन कम होकर जड़ों की वृद्धि पर कुप्रभाव पड़ता है । फलतः जड़ों की सक्रियता कम हो जाती है ।


मृदा पी एच -

धनायनों का अवशोषण क्षारीय तथा उदासीन माध्यम में अधिक होता है । प्रायः नाइट्रेट तथा फॉस्फेट आयनों का अवशोषण कम अम्लीय अवस्था में अधिक होता है ।


तापमान –

तापमान 15° सै० से कम होने पर अवशोषण दर बहुत कम हो जाती है ।


2. पादप सम्बन्धी कारकों का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार कर सकते हैं -


जड़ तन्त्र का स्वभाव एवं विस्तार -

पौधों द्वारा पोषक तत्व अवशोषित करने की क्षमता जड़ों की आकारिकी (morphology) अर्थात् जड़ की गहराई तथा मूल रोमों की संख्या पर निर्भर करती है ।


जड़ पृष्ठ पर आयन विनिमय स्थानों की संख्या -

द्विबीजपत्री पौधों के मूल पृष्ठ की आयन विनिमय क्षमता तथा आयन विनिमय स्थान एक बीजपत्री पौधों की अपेक्षा अधिक होते हैं । द्विबीजपत्री पौधों द्वारा कैलशियम की अपेक्षाकृत अधिक मात्रा अवशोषित की जाती है ।


आयु तथा वृद्धि दर –

पौधे की आयु बढ़ने के साथ जड़ों की अवशोषण क्षमता उत्तरोत्तर कम हो जाती है ।


वाष्पोत्सर्जन दर ( Transpiration Rate ) —

वाष्पोत्सर्जन दर कम होने पर पोषक तत्वों का अवशोषण कम हो जाता है ।


श्वसन दर ( Respiration Rate ) –

श्वसन प्रक्रिया की दर कम होने पर पोषक तत्वों का अवशोषण भी कम होता है ।


पौधे की जड़ से पौधे में पोषकों का स्थानान्तरण कैसे होता है?


पादप जड़ से पोषकों का स्थानान्तरण (translocation in hindi) — तने तथा पत्तियों में पादप जड़ों द्वारा पोषक तत्व आयनों के रूप में मृदा घोल से ग्रहण किये जाते हैं ।

अवशोषण के पश्चात् आयन जाइलम वाहिका (xylem vessel) में पहुँच जाते हैं । यहाँ से उनका स्थानान्तरण तने तथा पत्तियों में जल के साथ होता रहता है ।

आयन्स के स्थानान्तरण की यह क्रिया जल के साथ संहति प्रवाह (mass flow) होती है । यह क्रिया मुख्य रूप से जड़ों द्वारा जल अवशोषण की दर और वाष्पोत्सर्जन की दर पर निर्भर करती है ।

वाष्पोत्सर्जन की दर कम होने पर आयनों की ऊपर ओर गमन की गति भी कम हो जाती है । जाइलम में नाइट्रोजन नाइट्रेट, अमोनियम तथा ऐमीनो अम्लों के रूप में स्थानान्तरित होती हैं ।


मृदा में पोषक तत्त्वों की प्राप्ति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?

पौधे कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन तत्त्व वायु तथा जल से प्राप्त करते हैं । शेष 13 आवश्यक पोषक तत्त्व पौधों को मृदा से उपलब्ध होते हैं ।


मृदा में पादप पोषकों के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है -

  • अकार्बनिक तथा कार्बनिक सान्द्रित (concentrated) उर्वरक
  • भारी (bulky) तथा सान्द्रित कार्बनिक खाद
  • हरी खाद की फसल
  • मृदा सुधारक (soil amendments)
  • खरपतवारनाशी (weedicides) तथा फफूँदीनाशक (fungicides)


मृदा में निम्नलिखित पदार्थ मिलाकर पादप पोषक प्रदान किए जा सकते हैं -


अकार्बनिक तथा कार्बनिक सान्द्रित (concentrated) उर्वरक -

अकार्बनिक व्यावसायिक उर्वरकों के अन्तर्गत अमोनियम सल्फेट, कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट सुपर फॉस्फेट तथा पोटेशियम म्यूरियेट आदि आते हैं । यूरिया तथा कैल्सियम सायनेमाइड कार्बनिक व्यावसायिक उर्वरक होते हैं ।


भारी (bulky) तथा सान्द्रित कार्बनिक खाद -

इसके अन्तर्गत गोबर की खाद, कम्पोस्ट, मानव विष्ठा (night-soil), तेल खली तथा ग्वानो आदि आते हैं । ये खाद मृदा कार्बनिक पदार्थ अधिक मात्रा में किन्तु पादप पोषक अल्प मात्रा में उपलब्ध कराते हैं ।


हरी खाद की फसल -

मृदा में हरी खाद वाली फसल मिला देने से कार्बनिक पदार्थ तथा पादप पोषक मिल जाते हैं । हरी खाद के रूप में फलीदार (legumes) फसल मिलाने से मृदा में 60 से 80 पौण्ड नाइट्रोजन प्रति एकड़ मिल जाती है ।


मृदा सुधारक (soil amendments) -

मृदा की अम्लता दूर करने के लिए चूना (limestone) मिलाने पर मृदा को कैल्सियम प्राप्त हो जाता है । इसी प्रकार मृदा क्षारीयता दूर करने के लिए जिप्सम व सल्फर यौगिक मिलाने पर प्राप्य कैल्सियम तथा सल्फर मिल जाते हैं ।


खरपतवारनाशी (weedicides) तथा फफूँदीनाशक (fungicides) –

फफूँदीनाशक के रूप में प्रयोग किए जाने वाले कॉपर फफूँदीनाशक तथा बोरडेक्स (bordeaux) मिश्रण प्राप्य कॉपर तथा कैल्सियम प्रदान करते हैं ।


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मृदा में पोषकों की अस्थिरता पर टिप्पणी लिखिए? mobility of nutrients in soils in hindi


मृदा में पोषकों की अस्थिरता (mobility of nutrients in soil in hindi) – पादप वृद्धि के लिये आवश्यक तत्वों की संख्या 13 है जिन्हें मृदा प्रदान करती है । कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को मिलाकर आवश्यक तत्व 16 हो जाते हैं । पौधों का लगभग 96% भाग, C, H तथा O का बना होता है और पौधे इन्हें वायु तथा जल से पर्याप्त मात्रा में प्राप्त कर लेते हैं ।

नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, मैगनीशियम तथा कैल्सियम नामक प्रमुख तत्व पौधों द्वारा अत्यधिक उपयोग में लाये जाते हैं ।

पौधों को आयरन मैंगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, मोलिब्डीनम तथा क्लोरीन नामक लघु तत्वों की अल्प मात्रायें ही पर्याप्त होती हैं । इन आवश्यक तत्वों को पादप पोषक (plant nutrients in hindi) कहते हैं ।

उपरोक्त आवश्यक तत्वों के अतिरिक्त पौधे मृदा से सिलिकॉन, ऐलुमिनियम तथा सोडियम आदि तत्वों की अल्प मात्रायें भी शोषित कर लेते हैं क्योंकि ये तत्व मृदाओं में प्राप्य अवस्था में विद्यमान होते हैं ।

मृदाओं में पोषकों की अस्थिरता का उत्तरदायित्व मुख्य रूप से धनायन विनिमय (cation exchange) और मृदा जल पर है । पौधे मृदा से पोषक तत्वों को साधारण अकार्बनिक रूप में प्राय: आयनिक अवस्था में शोषित करते हैं ।

नाइट्रोजन का शोषण नाइट्रेट आयन (NO3) तथा अमोनियम आयन (NH4+ ) के रूप में होता है । फॉस्फोरस डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट (H2PO4-) तथा मोनोहाइड्रोजन फॉस्फेट (HPO4-2) आयनों के रूप में और गन्धक सल्फेट आयन (SO4-2) के रूप में शोषित होता है पोटेशियम, कैल्सियम तथा मैगनीशियम का शोषण क्रमश  K+, Ca ++ तथा Mg++ आयो के रूप में होता है ।

इस प्रकार पौधों को कॉपर Cu+,+ मैंगनीज–Mn++, जिंक–Zn++, आयरन फैरस (Fe++) व फैरिक (Fe +++), बोरॉन - बोरेट (BO3-3), मोलिब्डीनम – मोलिब्डेट (MoO4-2) तथा क्लोरीन क्लोराइड (CI-) आयनों के रूप में मृदा से प्राप्त होते हैं ।

पौधे अपने पोषकों को मृदा घोल, कोलॉइडी क्ले तथा ह्यूमस की सतह पर अधिशोषित विनिमययोग्य आयन्स से धनायन विनिमय द्वारा प्राप्त होते हैं । कोलॉइडी जटिल की बाहरी सतह पर Na, K+, Ca++, Mg++ तथा H+ आदि आयन अधिशोषित अवस्था में पाये जाते हैं । पौधों द्वारा आयन्स के शोषण की गति में भिन्नता मिलती है । कुछ आयन्स का शोषण शीघ्रता एवं सरलतापूर्वक होता है जबकि कुछ आयन्स पौधों द्वारा मन्द गति से ग्रहण होते हैं ।


उदाहरणार्थ — धनायन्स में K+ अत्यधिक सरलता से और Ca++ का शोषण सबसे मन्द गति से होता है । ऋणायन में नाइट्रेट आयन (NO3- ) अत्यधिक सरलता एवं शीघ्रता से और सल्फेट आयन (SO4-2) सबसे मन्द गति से पौधों द्वारा शोषित होते हैं ।

मृदा जल मृदा - पोषकों का प्राथमिक स्त्रोत है । पौधों की जड़ें पोषकों का विनिमय जल में कर लेती हैं । मृदा जल को प्रायः मृदा घोल कहते हैं । मृदा जल एक बहुत हल्का घोल होता है जिसमें जल के सम्पर्क में आये हुए प्रायः सभी रासायनिक यौगिकों के आयन होते हैं ।

इनमें विभिन्न आयनों का अनुपात विभिन्न यौगिकों की घुलनशीलता और अधिक घुलनशील पदार्थों की मात्राओं पर निर्भर करता है । इनमें से अधिकांश आयनों की साम्य प्रकृति होती है अर्थात्

यदि कोई विशेष आयन पौधे द्वारा घोल से शोषित हो जाता है तो उसी प्रकार का दूसरा आयन मृदा की ठोस अवस्था से घोल की ओर आ जाता है । प्राप्य पोषक मृदा में विद्यमान समस्त मात्रा का केवल कुछ ही अंश प्रदर्शित करते हैं । प्राप्य Ca2+, Mg2+ और K+ केवल कुछ अंश में ही घोल में रहते हैं । इन आयनों की अधिक प्राप्य मात्रा क्ले और ह्यूमस की ऊपरी सतह पर आयनों के रूप में रहती है ।

केशिका गति (capillary movement) से मृदा जल पौधों द्वारा शोषित हुए जल के स्थान पर आ जाता है तो पोषक धरातल पर पौधों की जड़ों के समीप आ जाते हैं । ग्रीष्म ऋतु में जल के वाष्पीकरण के कारण भी इसी प्रकार होता है । वर्षा में एकत्रित पोषक ड्रेनेज द्वारा बह जाने से पोषकों की भारी हानि होती है ।

स्पष्ट है कि जल विभिन्न पोषक तत्वों को घोलकर पौधों में पहुँचाने का एक उपयुक्त माध्यम है ।