भारत में वनों के महत्व के साथ साथ ही, भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वनों के लाभ कई लाभ है।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वनों से होने वाले लाभ को दो भागों में बांटा गया है : - प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष ।
वन सकल प्राणी जगत को विविध रूप, प्रकार एवं व्यवस्था से
प्रत्यक्ष व
अप्रत्यक्ष रूप में भोजन प्रदान कर उनके प्राणाधार हैं, पोषक हैं ।
वनों से होने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ?
वनस्पति एवं जीव - जन्तु परस्पर निर्भर हैं । विशेष रूप से मानव एवं वनों का सम्बन्ध उच्चकोटि का सम्बन्ध है ।
वनों से हम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में अनेक लाभ प्राप्त करते हैं, जैसे - प्रत्यक्ष लाभ स्वरूप हम वनों से इमारती काष्ठ, जलाऊ ईंधन, पशुओं के लिए चारा, गोंद, लाख, फल, जड़ी - बूटियाँ आदि प्राप्त करते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप में वन वर्षा, बाढ़ की रोकथाम करते हैं, सुन्दर अभयारण्य एवं आकर्षक पर्यटक स्थल देते हैं ।
बदले में हम वनों को भारी मात्रा में विषैली कार्बनडाईऑक्साइड देते हैं जिसे वन अपने भोजन के लिए प्रयोग करके पुन: हमें जीवनदायनी ऑक्सीजन दे देते हैं ।
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वनों के लाभ ( Benefits of forest in hindi ) |
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वनों के लाभ?
वनों से सरकार को प्रतिवर्ष 400 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व की प्राप्ति होती है तथा देश की अधिकांश जनसंख्या को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होता है ।
स्पष्ट है, कि देश के कल्याण में अपार सहयोग प्रदान करने वाली इस वन सम्पदा से हमें दो प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं — प्रत्यक्ष लाभ एवं अप्रत्यक्ष लाभ ।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वनों के लाभ को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है -
1. प्रत्यक्ष लाभ ( Direct Benefits )
2. अप्रत्यक्ष लाभ ( Indirect Benefits )
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वनों से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ ( Direct Benefits )
अर्थव्यवस्था में वनों के निम्न प्रमुख प्रत्यक्ष लाभ हैं -
( 1 ) वर्तमान में देश की राष्ट्रीय आय का लगभग 19 प्रतिशत कृषि उद्योग से प्राप्त होता है । इसमें लगभग 18 प्रतिशत वन सम्पत्ति द्वारा मिलता है ।
( 2 ) भारतीय वन, चरागाहों के अभाव में, लगभग 5.5 करोड़ पशुओं को चराने की सुविधा प्रदान करते हैं । पशुओं की चराई के अतिरिक्त वन प्रदेश अनेक प्रकार के कन्द - मूल फल भी प्रदान करते हैं, जिन पर ग्रामीणों की जीविका निर्भर करती है ।
( 3 ) वन (forest) लगभग 73 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से दैनिक व्यवसाय देते हैं । ये लोग लकड़ी काटने, लकड़ी चीरने, वन वस्तुएँ ढोने, नाव, रस्सी, बान, आदि तैयार करने तथा गोद, लाख, राल, कन्द मूल, जड़ी बूटियाँ, दवाइयाँ आदि एकत्रित करने लगे हैं ।
वन क्षेत्र में लगभग 3.1 करोड़ आदिवासियों का निवास स्थान है और उनके जीवन - यापन एवं अनेक कुटीर उद्योगों का यही
वन आधारभूत या महत्त्वपूर्ण साधन है ।
( 4 ) वनो से सरकार को निरन्तर अधिक आय होती रही है । यह आय
1981-82 में 204 करोड़ रुपये की हुई थी जो वर्तमान में बढ़कर लगभग 3,300 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष हो गई है ।
( 5 ) वनो से विविध मुख्य व गौण उपजो से निरन्तर अधिकाधिक आय प्राप्त होती रही है । गौण उपज से 1950 में 6 करोड़ रुपये, 1970 में 30 करोड़ रुपये एवं 2003 में इनसे होने वाली आय आठ गुना बढ़कर 245 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई । इसी भाँति वनों से मुख्य उपज के रूप में लकड़ी व बास की आय में भी तेजी से वृद्धि हुई है । यह आय 1950 में 17.2 करोड़, 1970 में 105 करोड़ रही जो वर्तमान में बढ़कर 31.000 करोड़ रुपये हो गई है । इसका एक कारण वन्य उत्पादों के मूल्यों में विश्वव्यापी भारी वृद्धि भी रहा है ।
( 6 ) आम, साखू, सागवान, शीशम, देवदार, बबूल, रोहिडा, यूकेलिप्टस आदि लकड़ियों से मकान के दरवाजे, चौखट, कृषि के औजार, जहाज, रेल के डिब्बे, फर्नीचर, कई उद्योगो के सहायक पुर्जे, वाहनों के ढाँचे, आदि बनाये जाते हैं । मुलायम लकड़ियों से कागज और लुग्दी, दियासलाई, प्लाईवुड, तारपीन का तेल, गंधा - विरोजा, आदि वस्तुएँ प्राप्त की जाती है । इमारती लकड़ियों के अतिरिक्त जलाने के काम आने वाली लकड़ियाँ ( धावड़ा, खैर, बबूल, आदि ) वनों से ही प्राप्त होती हैं । देश से प्रतिवर्ष 65 करोड़ रुपये की लकड़ियाँ एवं लकड़ी की वस्तुएं, पैकिंग सामग्री आदि का भी निर्यात किया जाता है ।
वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ ( Indirect Benefits )
उपर्युक्त प्रत्यक्ष लाभों की अपेक्षा वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ कहीं अधिक है -
( 1 ) वनों से नमी निकलती रहती है जिससे वायुमण्डल का तापमान सम होकर वातावरण आर्द्र वन जाता है, इससे वर्षा होती है ।
( 2 ) वन क्षेत्र वर्षा के जल को स्पंज की भांति चूस लेते हैं, अत: निम्न प्रदेशों में बाढ़ के प्रकोप का भय नहीं रहता और जल का बहाव धीमा होने के कारण समीपवर्ती भूमि का क्षरण भी रुक जाता है ।
( 3 ) वन प्रदेश वायु की तेजी को रोककर बहुत से भागों को शीत अथवा तेज बालू की आँधियों के प्रभाव से मुक्त कर देते हैं ।
( 4 ) ये वर्षा के जल को भूमि में रोक देते हैं और धीरे - धीरे बहने देते हैं । इससे मैदानी भागों में कुओं का जल तल से अधिक नीचे नहीं पहुंच पाता ।
( 5 ) वनों के वृक्षो से पत्तियाँ सूखकर गिरती है, वे धीरे - धीरे सड़ - गलकर मिट्टी में मिल जाती हैं और भूमि को अधिक उपजाऊ बना देती है ।
( 6 ) वन सुन्दर एवं मनमोहक दृश्य उपस्थित करते हैं और देश के प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं । अतएव वे देशवासियों में सौन्दर्य भावना जाग्रत करते हैं और उन्हें सौन्दर्य एवं प्रकृति - प्रेमी बनाते हैं ।
( 7 ) घने वनों में कई प्रकार के कीड़े - मकोड़े तथा छोटे छोटे असंख्य जीव - जन्तु रहते हैं जिन पर बड़े जीव निर्भर रहते हैं । भारतीय वनों में कई प्रकार के शाकाहारी ( नारहसिंघा, हिरन, साभर बैल, सूअर, हाथी, गैण्डा ) तथा मांसाहारी ( तेंदुआ, रीछ, बाघ, बघेरा, शेर ) वन्य प्राणी रहते हैं । भारतीय वनों में लगभग 592 किस्म के वन्य पशु पाए जाते हैं । देश के 500 अभयारण्य, 29 बाघ संरक्षण क्षेत्र एवं 95 राष्ट्रीय उद्यानों का आधार भी वन ही है ।
( 8 ) आज के बढ़ते प्रदूषण के सर्वव्यापी घातक प्रभाव से मुक्ति दिलाकर भूमि पर पर्यावरण सन्तुलन का आधार भी वन ही प्रदान कर सकते हैं । अत: यह आज भी मानव सभ्यता के पोषक एवं संरक्षक है ।