कार्बोहाइड्रेट क्या है (carbohydrate in hindi) - परिभाषा, वर्गीकरण, गुण एवं महत्व लिखिए

सब बहुहाइड्रोक्सी एल्डिहाइड, कीटोन या अन्य सभी योगिक जो जल के साथ अपघटित हो कर‌ यह पदार्थ देते हैं, कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi)‌ कहलाते है ।

जैसे - ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, सुक्रोज, स्टार्च तथा सेलूलोज आदि ।

कार्बोहाइड्रेट क्या है? carbohydrate in hindi

कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi)‌ केवल कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के यौगिक होते हैं ।

इनका सामान्य सूत्र प्राय: Cx(H₂O)y होता है । हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का जो अनुपात (2:1) पानी में होता है, वही इनमें होता है ।

यही कारण है कि इनको कार्बोहाइड्रेट या कार्बन के हाइड्रेट (hydrates of carbon) कहते हैं ।

कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख उदाहरण -

ग्लूकोज, फ्रुक्टोज - C6H12O6 या C6(H₂O)6
चीनी या सुक्रोज - C12H22O11 या C12(H₂O)11
स्टार्च या सेलुलोज - (C6H10O5)n या [C6 (H₂O)5]n

इसके अलावा कुछ ऐसे यौगिक भी ज्ञात है, जो रासायनिक दृष्टि से कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi)‌ हैं किन्तु सामान्य सूत्र Cx(H₂O)y की पुष्टि नहीं करते ।

जैसे — रहेमनोज (rhamnose) C6H12O5 तथा रहेमनोहैक्सोज C7H1406 ।

इसके अतिरिक्त कई अन्य यौगिक सामान्य सूत्र Cx(H₂O)y की पुष्टि करते हुए भी कार्बोहाइड्रेट नहीं हैं ।

जैसे - फॉर्मल्डिहाइड (HCHO या CH2O), ऐसीटिक अम्ल [CH3COOH या C2(H₂O)2] और लैक्टिक अम्ल [CH3CH(OH), COOH या C3(H₂O)3] ।

अतः कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi)‌ की प्रारम्भिक परिभाषा दोषपूर्ण सिद्ध हुई ।

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कार्बोहाइड्रेट की परिभाषा | definition of carbohydrate in hindi

कार्बोहाइड्रेट की आधुनिक परिभाषा निम्न प्रकार है -

"सब बहुहाइड्रिक (polyhydric) ऐल्डीहाइड अथवा कीटोन या अन्य यौगिक जो जल अपघटित (hydrolysc) होकर यह पदार्थ देते हैं, कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi)‌ कहलाते हैं ।"

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कार्बोहाइड्रेट कितने प्रकार के होते है? | types of carbohydrate in hindi

कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख प्रकार -

1. मोनो-सैकराइड ( mono-saccharides )
2. ओलीगो-सैकराइड ( oligo-saccharides )
( i ) डाई-सैकराइड ( di-saccharides )
( ii ) ट्राई-सैकराइड ( tri-saccharides )
( iii ) ट्रेटा-सैकराइड ( tetra-saccharides )
3. पोली-सैकराइड ( poly-saccharides )

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कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए? | classification of carbohydrate in hindi

जल अपघटन के आधार पर कार्बोहाइड्रेट्स को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है ।


1. मोनो-सैकराइड ( mono-saccharides )

मोनोसैकराइड - ये सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate in hindi) हैं जो बहुहाइड्रिक ऐल्डीहाइड अथवा कीटोन होते हैं । इनका जल अपघटन नहीं किया जा सकता है, मोनोसैकराइड कहलाते है ।

मोनोसैकराइड अणुओं में कार्बन परमाणु की संख्या 2 से 11 तक होती है परन्तु प्रकृति में प्रायः एल्डोपेन्टोज, एल्डोहैक्सोज तथा कीटोहैक्सोज ही पाये जाते हैं । इनका मूलानुपाती सूत्र (CH₂O)n है ।

मोनोसैकराइड्स के सामान्य भौतिक गुण -

  • ये प्रायः रंगहीन, रवेदार, उदासीन (neutral) तथा मीठे स्वादयुक्त शर्करायें होते हैं ।
  • ये जल में अति घुलनशील, ऐल्कोहॉल में कम घुलनशील परन्तु ईथर में पूर्णतया अघुलनशील होते हैं ।
  • गर्म करने पर इनका रंग भूरा हो जाता है और ये झुलस जाते हैं ।
  • प्रकृति में पाये जाने वाले समस्त मोनोसैकराइड प्रकाश-सक्रिय (optically active) होते हैं ।

मोनोसैकराइड का वर्गीकरण -

  • मोनोसैकराइड्स को इनके अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के अनुसार बायोज, ट्रायोज, टैट्रोज, पैन्टोज तथा हैक्सोज आदि में विभाजित किया गया है ।
  • बायोज ( Bioses ) - C2H4O2 या (CH₂O)2 - *
  • ट्रायोज ( Trioses ) - C3H6O3 या (CH₂O)3 - ग्लिसरेल्डिहाइड
  • टैट्रोज ( Tetroses ) - C4H8O4 या (CH₂O)4 - एरिथ्रोस
  • पेन्टोज ( Pentoses ) - C5H10O5 या (CH₂O)5 - रिबोस
  • हैक्सोज ( Hexoses ) - C6H12O6 या (CH₂O)6 - ग्लूकोस
  • ग्लाइकॉल एल्डिहाइड (CH2OH.CHO) सरलतम ऐल्डोज है परन्तु इसमें ध्रुवण घूर्णकता का गुण न होने के कारण इसे शर्कराओं की सूची में नहीं रखा गया है ।

मोनोसैकराइड्स को कार्बोनिल समूह (>C=O) की प्रकृति के अनुसार भी दो भागों में बाँटा गया है । एक तो वे जिनके अणु में ऐल्डीहाइड (-CHO) मूलक होता है और दूसरे वे जिनके अणु में कीटोनिक (>C=O) मूलक होता है । ऐल्डीहाइड मूलक वाले मोनोसैकराइड एल्डोज तथा कीटोनिक मूलक वाले कीटोज कहलाते हैं ।

उदाहरणार्थ - ग्लिसरेल्डिहाइड तथा ड्राइहाइड्रॉक्सी ऐसीटोन एल्डोट्रायोज हैं, रिबोज एक एल्डोपेन्टोस है, ग्लूकोस एक एल्डोहैक्सोज है और फ्रुक्टोज एक कीटोहैक्सोज है ।

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2. डाई-सैकराइड ( di-saccharides )

डाइसैकराइड्स - वे कार्बोहाइड्रेट जो जल अपघटित होकर मोनोसैकराइड के दो अणु देते हैं, डाइसैकराइड कहलाते हैं ।

उदाहरणार्थ - सुक्रोज (चीनी) नामक डाइसैकराइड जल अपघटित होकर ग्लूकोज तथा फ्रुक्टोज दो मोनोसैकराइड अणु देता है ।

C12H22O11+H₂O ----> C6H12O6+C6H12O6

इस प्रकार स्पष्ट है, कि कोई डाइसैकराइड मोनोसैकराइड के दो अणुओं (समान अथवा असमान) का एनहाइंड्राइड कहा जा सकता है अर्थात् मोनोसैकराइड के दो अणुओं के परस्पर संयोग से जल का एक अणु पृथक हो जाने के उपरान्त डाइसैकराइड बनता है ।

C6H11O5. [OH+H] O.C6H11O5 ----> C6H11O5O.C6H11O5+H₂O

डाइसैकराइड अणु में (ईथर की भाँति) दोनों मोनोसैकराइड अणु परस्पर ऑक्सीजन परमाणु द्वारा जुड़े होते हैं ।

प्रायः सभी डाइसैकराइड का एक अंग तो ग्लूकोज नामक ऐल्डोहैक्सोज होता है और दूसरा कोई हैक्सोज या पेन्टोज, एल्डोज या कीटोज होता है ।

इस श्रेणी के प्रमुख सदस्य सुक्रोज, लैक्टोज (दुग्ध शर्करा), माल्टोज (माल्ट शर्करा) तथा सैलोबायोज आदि हैं । इन सभी का अणुसूत्र C12H22O11 है अर्थात् यह सभी परस्पर समावयवी (Isomers) हैं ।

डाइसैकराइड्स के सामान्य गुण -

  • डाइसैकराइड मीठे, रवेदार तथा जल में घुलनशील शर्करायें हैं ।
  • ये मोनोसैकराइड्स की अपेक्षा शीघ्रता से केलासित हो जाते हैं ।
  • ये ऐसीटिल क्लोराइड अथवा ऐसीटिक एनहाइड्राइड के साथ अभिक्रिया कर ऑक्टा-ऐसीटेट यौगिक बनाते हैं । यह अभिक्रिया इनके अणुओं में आठ हाइड्रोक्सिल (OH) समूहों की उपस्थिति प्रदर्शित करती है ।
  • ये अम्लों द्वारा सुगमतापूर्वक जल अपघटित हो जाते हैं ।
  • C12H22O11 + H₂O ----> C6H12O6 + C6H1206
  • एन्जाइम द्वारा जल अपघटन विशिष्ट ( Specific ) होता है ।

उदाहरणार्थ -

सुक्रोज + H₂O ---> ग्लूकोज + फ्रुक्टोज
लैक्टेज + H₂O ---> ग्लूकोज + गैलेक्टोज
माल्टेज + H₂O ---> ग्लूकोज + ग्लूकोज
सैलोबायोज + H₂O ---> ग्लूकोज + ग्लूकोज
जब तक इनका जल अपघटन नहीं होता तब तक यीस्ट द्वारा प्रायः इनका किण्वीकरण (fermentation) भी नहीं होता ।
सभी डाइसैकराइड प्रकाश सक्रिय होते हैं ।

डाइसैकराइड्स का वर्गीकरण -

डाइसैकराइड्स को दो समूहों में विभाजित किया गया है -

  • अपचयन करने वाली ( Reducing ) शर्करायें
  • अपचयन न करने वाली ( Non - reducing ) शर्करायें ।

अपचयन करने वाले डाइसैकराइड लैक्टोज, माल्टोज तथा सैलोबायोज आदि हैं जो कि रासायनिक अभिक्रियाओं में ग्लूकोज से पर्याप्त मात्रा में समानता रखते हैं अर्थात् ये फेहलिंग घोल का अपचयन कर देते हैं, फेनिल हाइड्रेजीन के साथ रवेदार ओसांजोन बनाते हैं और म्यूटारोटेशन (muta-rotation) का गुण प्रदर्शित करते हैं ।

• सुक्रोज अपचयन न करने वाला डाइसैकराइड है ।

यह उपरोक्त अभिक्रियायें नहीं देता क्योंकि इसके अणु में कार्बोनिकल (>C=O) समूह स्वतन्त्र नहीं होता ।


3. पोली-सैकराइड ( poly-saccharides )

पोलीसैकराइड— इन्हें पोलीसैकरोज (polysaccharose) अथवा अशर्करायें (non- sugars) भी कहते हैं ।

इस वर्ग के प्रमुख सदस्य स्टार्च, सेलुलोज, ग्लाइकोजन तथा इन्यूलिन आदि हैं ।

पोली-सैकराइड के प्रमुख गुण -

  • ये रंगहीन, गन्धहीन तथा बेरवेदार होते हैं ।
  • इनका स्वच्छ घोल प्राप्त नहीं होता अपितु ये घोल में कोलॉइडी अवस्था में रहते हैं । यही कारण है कि इनका अणुभार सही रूप में ज्ञात नहीं किया जा सकता ।
  • ये जल अपघटन करने पर मोनोसैकराइड के अनेक अणु देते हैं ।
  • अतः पोलीसैकराइड मोनोसैकराइड के अनेकों अणुओं के परस्पर संयोग से बनते हैं ।

पोलीसैकराइड्स को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है —

  • रचनात्मक ( Structural ) पोलीसैकराइड
  • पोषक ( Nutritional ) पोलीसैकराइड


1. रचनात्मक पोलीसैकराइड -

वे पोलीसैकराइड जो जन्तुओं तथा पौधों की रचना में भाग लेते हैं, रचनात्मक पोलीसैकराइड कहलाते हैं । जैसे — सेलुलोज ।

2. पोषक पोलीसैकराइड -

ये पोलीसैकराइड जन्तुओं तथा पौधों के पोषण के काम में आते हैं, जैसे - स्टार्च, इन्यूलिन तथा ग्लाइकोजन ।


पोलीसैकराइड्स का अधिक वैज्ञानिक वर्गीकरण जल अपघटन पर आधारित है -

पेन्टोजन्स ( Pentosans ) -

वे पोलीसैकराइड जो जल अपघटन पर पेन्टोज शर्करायें देते हैं, पेन्टोजन्स कहलाते हैं । जैसे - जाइलन्स व एराबेन्स (arabans) आदि ।

ये लकड़ी, तिनके, पत्तियों तथा पौधों के रेशेदार भागों में पाये जाते हैं । इन्हें (C5H8O4)n सूत्र से प्रदर्शित किया जा सकता है जबकि का सही मान ज्ञात नहीं है क्योंकि यह परिवर्तनशील होता है ।

हैक्सोजन्स ( Hexosans ) -

वे पोलीसैकराइड जो जल अपघटन पर हैक्सोज शर्करायें देते हैं, हैक्सोजन्स कहलाते हैं । जैसे - स्टार्च, सेलुलोज आदि ।

ये कार्बोहाइड्रेट्स के भण्डार और कृषि की दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण हैं । इन्हें (C6H10C5)n सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।

हैक्सोजन्स का वर्गीकरण जल अपघटन के आधार पर दो भागों में किया जाता है -

  • ग्लूकोजन्स ( Glucosans ) — वे हैक्सोजन्स को जल अपघटन करने पर ग्लूकोज देते हैं, ग्लूकोजन्स कहलाते हैं, जैसे - स्टार्च , सेलुलोज तथा ग्लाइकोजन ।
  • फ्रुक्टोजन्स ( Fructosans ) - वे हैक्सोजन्स जो जल अपघटित होकर फ्रुक्टोज बनाते हैं, फ्रुक्टोजन्स कहलाते हैं । जैसे – इन्यूलिन । यहाँ ग्लूकोजन पोलीसैकराइड वर्ग के एक मुख्य सदस्य स्टार्च का वर्णन दिया जाता है । सेलुलोज के उपरांन्त स्टार्च ही वनस्पति जगत में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध हैक्सोजन है ।

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दैनिक जीवन में कार्बोहाइड्रेट्स का क्या महत्त्व है? | Impotance of carbohydrate in hindi

कार्बोहाइड्रेट अत्यन्त महत्त्वशाली पदार्थ होते हैं । रोटी, कपड़ा तथा मकान आदि सभी से इनका गहरा सम्बन्ध है ।


दैनिक जीवन में कार्बोहाइड्रेट का महत्त्व निम्न प्रकार कर सकते हैं -

  • ग्लूकोज अनेकों मिठाइयाँ, बिस्कुट तथा मुरब्बे बनाने में काम आता है । यह बच्चों व दुर्बल रोगियों को शक्ति प्रदान करने हेतु भोजन के रूप में उपयोग में लाया जाता है । यह कैलशियम ग्लूकोसेट तथा ग्लूकोज इन्जेक्शनों एवं औषधियों में प्रयोग किया जाता है । यह किण्वीकरण द्वारा एथिल ऐल्कोहॉल तथा शराब बनाने के काम में लाया जाता है ।
  • फ्रुक्टोस भी मिठाइयाँ बनाने में काम में लाया जाता है । मधुमेह (बहुमूत्र—diabetes) के रोगियों के लिये इसका प्रयोग चीनी आदि अन्य शर्कराओं की अपेक्षा अधिक अच्छा है ।
  • स्टार्च (चीनी) मिठाइयाँ व शर्बत बनाने में तथा भोजन के अन्य पदार्थों को मीठा करने के काम आती है । यह फलों को सुरक्षित रखने तथा इनसे मुरब्बे बनाने में भी उपयोग में लायी जाती है ।
  • स्टार्च आटा, मैदा , सूजी तथा आलू आदि के रूप में भोजन के लिये प्रयुक्त की जाती है । यह कपड़ों की धुलाई (laundry work) में कपड़ों को कड़ा तथा चिकना करने में काम आती है । यह कपड़ों की छपाई (calico printing) तथा गोंद के रूप में प्रयोग की जाने वाली डैक्सट्रिन बनाने में भी प्रयोग में लायी जाती है ।
  • सेलुलोस कागज, कृत्रिम रेशम और कपड़े के व्यवसाय में काम आता है । यह सेलुलॉइड के रूप में कंघे, बटन, चूड़ियाँ, खिलौने, बर्तन तथा सजावट की अनेकों वस्तुयें बनाने में उपयोग में लाया जाता है । यह सेलुलोस ट्राइऐसीटेट के में प्लास्टिक, सुनहरी वार्निश (lacquers) तथा फोटोग्राफी व सिनेमा फिल्म आदि के प्रयुक्त होता है ।