प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना 2020 (PMFBY)

प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना 2020 -Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana 2020 - (PMFBY)


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) 2020 में प्रकृतिक आपदा के फलस्वरूप फसल खराब होने की स्थिति में कृषकों को होने वाली हानि से रक्षा करने, उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने तथा अगले मौसम में उनकी ऋण पात्रता बनाए रखने के लिए फसल बीमा योजना चलाई जाती है ।

फसलों का बीमा कराने के उपरान्त प्राकृतिक प्रकोपों से यदि फसलों को किसी प्रकार की क्षति होती है , तो उसकी क्षतिपूर्ति कृषक को बीमा कम्पनी करती है । 

प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना 2020 (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana 2020)
प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना 2020 (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana 2020)


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) क्या है? 


"फसल बीमा योजना एक ऐसी प्रक्रिया है, कि जिसके द्वारा किसानों को सामूहिक रूप से कुछ किसानों की क्षति को पूरा करना पड़ता है ।"

फसल बीमा कैसे किया जाता है?


फसलों का बीमा दो तरह से किया जा सकता है -


( i ) ऐच्छिक बीमा (Optional insurance)

यह किसानों की इच्छा पर निर्भर करता है ।

( ii ) अनिवार्य बीमा (Compulsory insurance)

इसके अन्तर्गत सभी किसानों को अपनी फसल का बीमा कराना अनिवार्य होता है ।

फसल बीमा योजना की आवश्यकता ( Crop insurance required )


भूमि फसलों के उत्पादन का अत्यन्त आवश्यक साधन होती है । अत : कृषि उत्पादन की सुरक्षा, कृषकों में उत्पादन हेतु उत्साह बनाये रखने एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि करने हेतु यह आवश्यक है कि फसलों का बीमा कराया जाये ।

इन्हें भी देखें

फसल बीमा योजना के प्रकार ( Types of crop insurance scheme )


यह चार प्रकार के होते हैं -


( i ) बाढ़ से नुकसान का बीमा ।

( ii ) बढ़ती हुई फसल को ओलों से नुकसान होने का बीमा ।

( iii ) आग और बिजली गिरने से हुई हानि का बीमा ।

( iv ) अन्य किसी प्रकार की हानि ।

भारत में फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन ( Implementation of Crop Insurance Scheme in India )


सर्वप्रथम 1939 में राष्ट्रीय नियोजन समिति द्वारा स्थापित की गई भूमि नीति, कृषि - श्रम तथा बीमा उपसमिति ने भारत में फसल एवं पशु बीमा योजना के क्रियान्वयन का सुझाव दिया था ।

सर्वप्रथम देवास ( म० प्र० ) में अनिवार्य फसल बीमा योजना शरु की गई थी ।

सन् 1946 में नारायण स्वामी नायडू की अध्यक्षता में गठित ग्रामीण ऋण जाँच समिति ने फसल बीमा योजना को अमेरिकी संघीय फसल बीमा पद्धति के अनुरूप लागू किये जाने का सुझाव दिया जिससे कषकों को आया स्थिर बनी रहे ।

सन् 1947 में सहकारी समितियों के निबन्धकों के सम्मेलन में अनुमोदित राज्य स्तर पर फसल बीमा योजना को संचालित करने की संस्तुति सहकारी नियोजन समिति द्वारा की गई ।

सन् 1947 में ही नई दिल्ली में सम्पन्न हुये एशियाई क्षेत्रीय सम्मेलन ने यह सुझाव दिया कि सरकार को जहाँ फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन की अच्छी सम्भावना की आशा हो वहाँ यह बीमा योजना शीच ही शरु करने का निर्णय लेना चाहिये ।

खाद्य एवं कृषि संगठन की संस्तति के बावजूद भी फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन हेतु सरकार द्वारा कोई भी प्रयास नहीं किये गये ।

सन् 1973 में गुजरात राज्य में एक फसल बीमा योजना, जीवन बीमा निगम द्वारा कपास की संकर किस्म के लिये संचालित की गई ।

सन् 1974 - 75 में भारतीय सामान्य बीमा निगम द्वारा दस प्रायोगिक फसल बीमा योजनायें गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्यों में गेहूँ, कपास एवं मूंगफली की फसलों के लिये प्रारम्भ की गई थी, लेकिन इन योजनाओं से प्राप्त परिणाम सन्तोषजनक नहीं रहे ।

सामान्य बीमा निगम द्वारा 1982 - 83 के खरीफ मौसम में नौ राज्यों में पायलट फसल बीमा योजना प्रारम्भ की गयी थी ।

वर्ष 1983 - 84 तक इस योजना को बारह राज्यों द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गयी थी लेकिन फिर भी वह योजना देश के 600 प्रखण्डों में ही क्रियान्वित हो सकी ।

वर्तमान में सरकार फसल बीमा योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रयत्नशील है ।

इन्हें भी देखें

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का लाभ कैसे मिलेगा?


फसल बीमा योजना से लाभ -


( 1 ) प्रधानमंत्री फसल बीमा (Fasal Bima Yojana) कृषकों को नवीन तकनीक को अपनाने की प्रेरणा देता है और जोखिम वहन करने की उनकी शक्ति को बढ़ाता है ।

( 2 ) फसल बीमा कृषकों में बचत करने की प्रवत्ति में सहायक होता है ।

( 3 ) फसल बीमा योजना लागू होने पर आपदाओं एवं अनिश्चितताओं वाले वर्ष में भी कृषक साख संस्थाओं से प्राप्त ऋण की किस्त का समय पर भुगतान करने में सक्षम होते है ।

( 4 ) फसल बीमा योजना कृषकों की ऋणग्रस्तता की समस्या को कम करने में सहायक होता है ।

( 5 ) खराब परिस्थितियों में भी फसल बीमा योजना (Fasal Bima Yojana) कृषक के मनोबल को ऊँचा बनाए रखता है ।

( 6 ) कृषि में जोखिम प्रबन्धन के साधन के रूप में और प्राकृतिक आपदाओं से जिन किसानों को हानि होती है , फसल बीमा योजना (Crop Insurance Scheme in hindi) उन्हें राहत पहुंचाता है ।

( 7 ) प्राकृतिक आपदाओं के फलस्वरूप कृषकों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से बच जाती है।

( 8 ) फसल बीमा योजना (Crop Insurance) से कृषक हानि की सम्भावना वाली भूमि पर भी कृषि करने का जोखिम उठा लेते हैं ।

फसल बीमा योजना में आने वाली कठिनाइयाँ (Hinderences in Implementation of Crop Insurance Scheme)


फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन में आने वाली प्रमुख कठिनाइयां निम्नलिखित है -


( 1 ) कृषि (Agriculture in hindi) जोतों का आकार छोटा और अनाथिक होने के कारण भी फसल बीमा (Crop Insurance scheme) कोल करने में व्यावहारिक कठिनाई उत्पन्न हो जाती है ।

( 2 ) आय कम होने के कारण कृषक बीमा की किस्त का समय से भुगतान नहीं कर पाते है ।

( 3 ) फसल बीमा में यह कठिनाई भी उत्पन्न होती है कि बीमा पट्टेदार के नाम किया जाये ।

( 4 ) बीमा (Insurance in hindi) कम्पनियों द्वारा फसल बीमा (Fasal Bima Yojana) को लाग करने से उत्पन्न परेशानियों के किसी आधार पर कृषको अथवा उनक संगठनों द्वारा विरोध किया जाता है । किसी - न - किसी आधार पर कृषको अथवा उनके सगठनो द्वारा विरोध किया जाता है।

( 5 ) कृषि जोतों के दर - दूर होने तथा उनके बिखराव के कारण कृषि फसल बीमा लागु करने में कठिनाई आती है ।

( 6 ) अशिक्षा एवं अज्ञानतावश कृषक फसल बीमा के महत्व को समझ नहीं पाता जिससे बीमा (Insurance in hindi)को लागू करने में कठिनाई आती है ।

( 7 ) फसल बीमा (Fasal Bima) का महत्वपूर्ण आधार सहकारिता है , परन्तु गाँवों में सहकारिता का विकास न होने के कारण से भी फसल बीमा की प्रवृत्ति में बाधा उपस्थित होती है ।