मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) क्या है, इसके के लाभ एवं सिद्धांत

भारत जैसे देश में जहाँ छोटे - छोटे खेत होने के कारण मशीन की शक्ति प्रयोग नहीं की जा सकती है, वहां मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) एक विशेष महत्व रखती है ।

भारत में मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) प्राचीन काल से ही होती जा रही है और वर्तमान में यह प्रचलित भी है ।

मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) एक प्रकार से विविध खेती है, जिसमें फसल उत्पादन व पशुपालन एक - दूसरे पर पूर्ण रूप से निर्भर करता है ।


मिश्रित खेती क्या है? | What Is Mixed Farming In Hindi


खेती की इस प्रणाली में फसल उत्पादन के साथ - साथ पशुपालन भी किया जा सकता है, ओर दोनों से बराबर लाभ प्राप्त किया जाता है, मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) कहलाती है ।

मिश्रित खेती में पशुधन या पशुपालन का एक विशेष महत्व होता है ।


मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) क्या है, इसके के लाभ एवं हानि

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मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) क्या है, इसके के लाभ एवं सिद्धांत


मिश्रित खेती का क्या अर्थ | Mixed Farming Meaning In Hindi


मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) का सीधा सम्बन्ध फसल उत्पादन एवं पशुपालन से है ।

मिश्रित खेती का अर्थ (mixed farming meaning in hindi) फसल उत्पादन के साथ - साथ पशुपालन (पशुधन) से है । 

पशुधन (livestock in hindi) एक व्यापक शब्द है, जिसमें गाय, बैल, भैंस, घोड़े, खच्चर, भेड - बकरी, सुअर, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन तथा रेशम के कीड़ों आदि का पालन सम्मिलित है ।

इस प्रकार यहाँ कृषि उत्पादन में फसलों और पशुओं का योगदान होता है । 


मिश्रित खेती की परिभाषा | Definition of Mixed Farming In Hindi

फसल उत्पादन एवं पशुपालन इन दोनों से मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) संबंधित है ।


इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया जाता सकता है - Definition of Mixed Farming In Hindi


"मिश्रित खेती एक ऐसी प्रणाली है, जिसको पशुपालन तथा फसल उत्पादन दोनों के लाभ के लिये अपनाया जाता है । "

"Mixed farming is a system which integrates Crop - production and Animal Husbandry to mutual benefit of both. "


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मिश्रित खेती किसे कहते है एवं इसका क्या महत्व है? | Importance of Mixed Farming In Hindi


मिश्रित खेती (mixed farming in hindi) में पशुओं का योगदान एक पूरक व्यवसाय के रूप में होता है । 

पशुओं के रखने से फार्म पर दूध व कृषि कार्यों के लाभ के अतिरिक्त खाद भी प्राप्त होती है , जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति की क्षति को रोका जा सकता है ।

फसलो की खेती ( Crop raising ) से अन्य लाभ के अतिरिक्त फार्म के पशुओं को अच्छी किस्म का व सस्ता चारा - दाना मिलता रहता है।


मिश्रित खेती के क्या लाभ | Benefits Of Mixed Farming In Hindi

फसल उत्पादन एवं पशुपालन को एक साथ करने से किसानों को कई तरह के लाभ प्राप्त होता है ।


मिश्रित खेती के निम्न लाभ है - Benefits Of Mixed Farming In Hindi


( 1 ) पशुओं से प्राप्त गोबर व मूत्र से भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है ।

( 2 ) वर्ष के अधिकांश भाग में आय नियमित रूप से प्राप्त होती रहती है ।

( 3 ) मुख्य व्यवसायों से प्राप्त उप - फलों (By - products) भूसा, पुआल, अगौले व गोबर, मूत्र आदि सभी का सही उपयोग हो जाता है ।

( 4 ) कृषक तथा उसके पारिवारिक सदस्यों को पूर्ण वर्ष भर नियमित रूप से कार्य मिलता रहता है ।

( 5 ) आर्थिक दृष्टिकोण से भूमि, श्रम व पूँजी का समुचित प्रयोग हो जाता है ।

( 6 ) सघन कृषि (Intensive Cultivation) के लिये अच्छा अवसर होता है ।

( 7 ) शुद्ध आय प्रति एकड़ कृषि के अन्य प्रकार की अपेक्षा इसमें अधिक प्राप्त हो जाती है, क्योंकि ऊपरी व्यय ( Overhead Charges ) वर्ष भर में अनेक पदार्थों पर बँट जाते हैं, जिससे फसल तथा पशु उत्पादन की प्रति इकाई पर व्यय अपेक्षाकृत कम हो जाता है ।

( 8 ) उपयोग के लिये कृषक को विभिन्न वस्तुओं - दूध, दही, घी, मट्ठा, अंडा, फल, सब्जी के रूप में एक पौष्टिक व सन्तुलित आहार प्राप्त हो जाता है । 


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मिश्रित खेती के सिद्धांत एवं सीमाएँ | Principals and Boundaries Of Mixed Farming In Hindi


भारत में प्रचलित खेती आज भी काफी हद तक प्राचीन कृषि सभ्यता का चिह्न है ।

यद्यपि हमारे देश में मिश्रित खेती ही अधिकतर की जाती है तो भी बड़े खेद के साथ कहना पड़ता है ।

कि आज देश में फसलों व पशुओं दोनों की ही दशा बड़ी दयनीय तथा शोचनीय है ।

विश्व के प्रगतिशील देशों की अपेक्षा यहाँ फसलों की पैदावार प्रति एकड़ व हेवटपर तथा दुग्ध उत्पादन आदि प्रति पशु न्यूनतम है ।


अब पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत सामुदायिक विकास (Community Developmen) कार्यक्रमों के द्वारा इनकी दशा सुधारने के लिये विभिन्न उपाय है

जैसे - सिंचाई की समुचित व्यवस् उन्नत किस्म के बोज, पशुओं की उन्नत नस्लें पश प्रजनन पश चिकित्सा व्यवस्था, फसल का उत्तम यन्त्र, आषधियां तथा खादों का प्रबन्ध और कृषि की उन्नतशील विधियाँ आदि अपनाई है ।

साथ ही साथ फल एवं सब्जी उत्पादन की दिशा में भी कदम उठाये जा रहे है ।