बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि किसे कहते है इसके लाभ एवं दोष?

जिस फार्म पर किसी एक साधन या उद्यम से आय, सम्पूर्ण फार्म की आय का 50 प्रतिशत से कम होती है, उसे बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि कहा जाता है ।

बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि किसे कहते है? What is diversified farming in hindi

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बहु प्रकारीय खेती या सामान्य खेती (diversified and general farming in hindi)


इस प्रकार के फार्मों पर कृषक आय के अनेक साधनों पर निर्भर रहता है ।

फार्म पर प्रत्येक उद्यम कल फार्म की आय के 50 प्रतिशत से कम ही कम आय प्रदान करता है ।

इस प्रकार के फार्म पर की जाने वाली कृषि को बहु प्रकारीय खेती या सामान्य खेती (diversified and general farming in hindi) कहते है ।


बहु प्रकारीय खेती (diversified farming in hindi) को निम्नांकित चित्र द्वारा दर्शाया गया है -

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बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि किसे कहते है इसके लाभ एवं दोष


बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि के क्या लाभ है? benefits of diversified farming


बहु प्रकारीय खेती (diversified farming in hindi) के निम्नलिखित लाभ होते है -

( 1 ) भूमि, श्रम व पूँजी का सदुपयोग –

यहाँ खेती की वैज्ञानिक विधियाँ व उचित फसल - चक्र अपनाने के कारण भूमि का सदुपयोग हो जाता है । फार्म पर विभिन्न प्रकार के कार्यों के होने से श्रम तथा पूँजी का भी उचित (CROPS FRUIT FARMING) प्रयोग होता रहता है ।


( 2 ) कम जोखिम ( Reduced Risk ) -

फसल नष्ट (POULTRY DAIRYING) होने या किसी उद्यम (Enterprise) के भाव गिरने से व्यापार जोखिम कम हो जाता है । 


( 3 ) उपफल (By-products) का उचित प्रयोग -

उप - फलों का समुचित उपयोग हो जाता है, फार्म पर फसल उत्पादन तथा पशुपालन (animal husbandry in hindi) प्रत्येक को पारस्परिक लाभ देते हए साथ - साथ चलाये जाते हैं ।


( 4 ) विभिन्न उद्यमों (Enterprises) से आय शीघ्र तथा नियमित रूप से मिलती रहती है ।

( 5 ) फार्म यन्त्रों का आर्थिक दृष्टि से उचित प्रयोग होता है ।

( 6 ) नये सिरे से कृषि व्यवसाय प्रारम्भ करने वाले मनुष्यों के लिये खेती की यह विधि उत्तम है, क्योंकि यहाँ पर जोखिम कम होती है । अधिक जनसंख्या की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये यह उत्तम है ।

( 8 ) कृषक को विभिन्न उद्यमों (Enterprises) के उत्पादन की कृषि - क्रियाओं के विषय में अधिक ज्ञान प्राप्त करने का अच्छा अवसर मिल जाता है ।


बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) खेती के क्या दोष है?


बहु प्रकारीय खेती (diversified farming in hindi) के निम्नलखित दोष होते है -

( 1 ) विभिन्न उद्यमों (Enterprises) से उत्पादनथोड़ी - थोड़ी मात्रा में प्राप्त होता है,अत: यहाँ उत्पादन हेतु सामग्री खरीदने व उत्पादित माल को बेचने का कार्य दक्षतापूर्वक नहीं हो पाता जब तक कि उत्पादक अपनी वस्तु की बिक्री की व्यवस्था सहकारी आधार पर नहीं करता ।

( 2 ) विविध खेती में विभिन्न कार्य (jobs) होने के कारण कृषक केवल कुछ ही श्रमिकों का कुशलतापूर्वक निरीक्षण कर सकता है ।

( 3 ) फार्म पर उत्तम प्रकार के उपकरण रखना सम्भव नहीं होता है, क्योंकि प्रत्येक उद्यम (Enterprises) के लिये अधिक खर्चीले यन्त्र तथा मशीन (Implements and machines) रखना आर्थिक दृष्टि से ठीक नहीं होता ।

( 4 ) विभिन्न कार्यों के झमेले से फार्म व्यवस्था सम्बन्धी कुछ त्रुटियों (Leaks) का पता नहीं चल पाता ।

( 5 ) विविधिकरण की चरम सीमा पर विभिन्न उद्यमों (Enterprises) में आपस में एक ही समय मजदूर व यन्त्रों के लिये प्रतियोगिता हो जाती है तथा ऐसी परिस्थितियों में किसी एक व्यवसाय की उपेक्षा करनी पड़ती ।

( 6 ) छोटे - छोटे अधिक व्यवसाय होने के कारण कृषक का कम अवकाश मिल पाता है ।


भारत में बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि का महत्व एवं विकास


भारतीय परिस्थितियों के अन्तर्गत विविध कृषि के लाभ,विशिष्ट खेती पर विचार करने के लिये कोई स्थान नहीं छोड़ते ।

अमेरिका में भी जहाँ विशिष्ट खेती के निश्चित क्षेत्र है ।

जैसे - गेहूँ की पट्टी (Wheat belt), मक्का की पट्टी (Maize belt), कपास की पट्टी (Cotton belt) आदि, वहाँ भी बहु प्रकारीय खेती या विविध (सामान्य) कृषि की ओर झुकाव बढ़ रहा है ।

कपास की पट्टी में भी कृषि व्यवसाय संगठन में कपास के साथ अतिरिक्त व्यवसाय का समायोजन करके इकहरी फसल प्रणाली (farming systems in hindi) की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त किया गया है ।


भारत में विविध खेती के रूप में फसल व दुग्धोत्पादन अधिक प्रचलित व प्रसिद्ध है, क्योंकि इसके द्वारा भूमि, श्रम व पूँजी का समुचित उपयोग होता है तथा मौसम, बाजार के दुष्परिणामों का कम प्रभाव पड़ता है ।

एक अंग्रेजी कहावत के अनुसार,

"एक चतर किसान वह है जो कि विविधिकरण को अपनाता है, मुर्गी के सम्पूर्ण अंडों को एक ही टोकरे में नहीं रखता और जो फसलों को हेर - फेर कर उगाता है ।"

भारतीय परिस्थितियों में बहु प्रकारीय खेती या सामान्य खेती (diversified and general farming in hindi) में विशिष्ट खेती की अपेक्षा अधिक लाभ है तथा इसके विकास की काफी गुंजाइश है ।