व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती क्या है इसके लाभ एवं उपयोगिता

व्यक्तिगत खेती (peasant farming in hindi) के अन्तर्गत किसानों का राज्य से सीधा सम्बन्ध होता है, यहाँ पर कोई मध्यस्थ नहीं होता ।

व्यक्तिगत खेती की इस प्रणाली को किसान (काश्तकारी) खेती या किसानी-खेती के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है ।

किसान सम्पूर्ण भूमि का स्वामी होता है और उसे इसमें स्थायी, पैत्रिक तथा हस्तान्तरण के सभी अधिकार प्राप्त होते है ।

वे निर्धारित मालगुजारी राज्य को देते हैं ।

कृषि के सभी कार्य कृषक अपनी इच्छानुसार करते है तथा वे स्वयं ही अपने - अपने प्रक्षेत्र के प्रबन्धक एवं संगठनकर्ता होते है ।


व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती किसे कहते है? (peasant farming in hindi)

व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती क्या है इसके लाभ एवं उपयोगिता, peasant farming in hindi, व्यक्तिगत खेती की परिभाषा, किसानी-खेती, खेती के लाभ,
व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती क्या है इसके लाभ एवं उपयोगिता

व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती सदैव ही श्रमिकों को अधिकतम रोजगार प्रदान करती है, जिससे अधिकांश व्यक्तियों को स्वतन्त्र रूप से अपनी आजीविका प्राप्त करने का अवसर मिलता है ।

यहाँ पर भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और प्रति हैक्टेयर उपज में वृद्धि भी होती है । 


ये भी पढ़ें


व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती की परिभाषा (defination of peasant farming in hindi)


व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती से कृषकों में आत्म - सम्मान की भावना पैदा होती है और कृषकों की भूमि के प्रति मोह की भावना भी बनी रहती है जिससे वे कृषि व्यवसाय से जुड़े रहते हैं ।

कृषक विभिन्न फसलों का क्षेत्रफल अपने हिसाब से रखता है ।

फार्म पर फसलों और पशुओं का अनुपात वह स्वयं निर्धारित करता है ।

उत्पादित वस्तुओं के विक्रय का निर्णय अपनी इच्छानुसार करता है ।


भारत में व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती की उपयोगिता (peasant farming in india)


भारत में व्यक्तिगत खेती की वर्तमान परिस्थितियों के लिये बहत उपयुक्त मानी जाती है ।

अपने देश में किसान को निजी सम्पत्ति से बड़ा मोह है ।

भारत में अधिकांश कृषकों के पास सिंचाई की सुविधाओं, खाद, उन्नत बीज व सुधरे यन्त्र आदि के रूप में पूँजी के अभाव में कृषि व्यवसाय का विकास आज भी सन्तोषजनक नहीं है ।

"चौधरी चरण सिंह ने अपने स्मरण - पत्र 'जमींदारी उन्मूलन' कैसे किया जाये ।"


ये भी पढ़ें


इस सम्बन्ध में निम्नलिखित सिद्धान्तों के ऊपर प्रकाश डाला है -

1. भमि मालगजारी का एक साधन नहीं समझी जायेगी वरन् उन श्रमिकों के रोजगार का एक निश्चित व सीमित साधन मानी जायेगी, जिनका खेती करना ही मुख्य व्यवसाय है ।

2. भूमि वही खरीद सकता है, जो कि खेती करता हो या खेती करने के लिये स्वयं तैयार हो । किसान इस भूमि को किसी दूसरे व्यक्ति को लगान पर नहीं उठा सकता ।

3. भूमि एक राष्ट्रीय सम्पत्ति है, इसलिये राष्ट्र - हित में ही इसका प्रयोग होना चाहिये और इस प्रकार कोई भी इसका दुरुपयोग नहीं कर सकता अर्थात् प्राप्त करने के पश्चात यह नहीं कि वह इसे प्रयोग में न लाये ।

4. यदि कोई भू - स्वामी सामाजिक व आर्थिक नियमों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है तो इसके लिये वह दोषी समझा जायेगा । अत: उसका स्वामित्व हटाकर भूमि किसी अन्य व्यक्ति को दी जा सकती है ।


भारत में व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती (peasant farming in india)


व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती से कृषकों की निजी इच्छा भी पूरी हो जायेगी तथा साथ ही साथ भमि पर अपना अधिकार होने के कारण किसान उस पर जी - तोड़ मेहनत के साथ कार्य करेगा और जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, क्योंकि यह ठीक ही कहा गया है, कि निजी सम्पत्ति का जादू मरूस्थल को भी उपवन में बदल देता है ।

इसके अतिरिक्त किसान का कार्य संचालन की क्षमता एवं सूत्रपात या प्रारम्भ पर भी कोई आघात न होगा । उसको अपनी इच्छानुसार कार्य करने का पूर्ण अवसर प्राप्त हो जायेगा ।

उत्तर प्रदेश में 'जमींदारी उन्मूलन' के पश्चात् कृषि की दशा में सुधार के लिए प्रभावपूर्ण कदम उठाये गये है ।

यह पहले ही घोषित किया जा चुका है, कि भूमि पर भूमिघरों का स्वामित्व स्थापित रहेगा और यह एक्ट बन चुका है कि विधवा, नाबालिग पागल या वह व्यक्ति जो कि अन्धा है या शारीरिक दुर्बलता या जेल चले जाने के कारण या सेना में नौकरी करने के कारण खेती नहीं कर सकता, आदि  के अतिरिक्त अन्य कोई भी व्यक्ति भूमि को लगान पर नहीं उठा सकता ।


पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत भारतीय सरकार तथा राज्य सरकारों ने कृषकों को अपने फार्म तथा कृषि विधियों को सुधारने के लिये सहायता देने की योजनायें प्रारम्भ की हैं ।

जैसे - जमींदारी उन्मूलन, (खेतों की चकबन्दी, भूमि की अधिकतम व न्यूनतम सीमा का निर्धारण), सामुदायिक विकास की योजनायें व कृषि में सहकारिता पर बल आदि ।

यदि भारतीय किसान व्यक्तिगत रूप से ही कृषि करता हुआ कुछ कार्यों को जैसे विपणन, वित्त - व्यवस्था, उन्नतिशील कृषि, यन्त्रों, खाद, बीज तथा सिंचाई आदि ।

सुविधा सहकारिता के आधार पर प्राप्त करने लगे तो कृषि की यह प्रणाली देश की वर्तमान परिस्थितियों के लिये अनुकूलतम होगी ।


ये भी पढ़ें


व्यक्तिगत खेती या किसान (काश्तकारी) खेती के क्या लाभ है? (advantages of peasant farming in hindi)


व्यक्तिगत खेती (peasant farming in hindi) के निम्नलिखित लाभ है -

( i ) प्रक्षेत्र सम्बन्धित निर्णय शीघ्रता से लिया जा सकता है ।

( ii ) प्रक्षेत्र की पूरी जिम्मेदारी कृषक की ही होती है और वह प्रक्षेत्र सम्बन्धित सभी कार्यों को पूरा करने में पूरी रुचि लेता है ।

( iii ) हिसाब - किताब रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।

( iv ) उत्पादन के साधनों एवं विभिन्न प्रकार के उद्यमों का चयन करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होती

( v ) अधिक श्रमिकों को रोजगार प्राप्त होता है ।

( vi ) कषकों की भूमि - प्रेम की भावना सन्तुष्ट होती है ।