बहुभ्रूणता ( Polyembryony in Hindi )

बहुभ्रूणता किसे कहते है यह कितने प्रकार की होती है एवं इसके क्या कारण है, उदहारण सहित समझाए?


बहुभ्रूणता ( Polyembryony in Hindi )
बहुभ्रूणता ( Polyembryony in Hindi )


बहुभ्रूणता किसे कहते है? Polyembryony in hindi


जब बीज में बहुत से भ्रूण होते हैं तथा बहुत से पौधों को पैदा करते हैं, तो इसको बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) कहते हैं ।

सभी पौधों को उगते समय पृथक किया जा सकता है तथा व्यक्तिगत पौधे के रूप में लगाया जा सकता है ।

बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) में एक लैंगिक भ्रूण होता हैं तथा शेष भ्रूण न्यूसैलस कोषिका से पैदा हये होते हैं, जिन्हें एपोगैमस भ्रूण कहा जाता है ।

एपोगैमिक पौधे मातृ वृक्ष के समान ही वृद्धि एवं फलत करने वाले होते हैं ।

बहुभ्रूणता के क्या कारण है? Reason of  Polyembryony in Hindi



बहुभ्रूणता के निम्नलिखित कारण है -


( i ) भ्रूण में एक से अधिक अंडों का विकास तथा निषेचन

( ii ) ओव्यूल में बहुत सी भ्रूण थैलियों (Embryo sac) का पैदा होना ।

( iii ) सिनरजिड्स तथा एन्टीपोडल से भ्रूण का विकास होना 

( iv ) सिनरजिड्स तथा एन्टीपोडल कोषा ओव्यूल से वानस्पतिक भ्रणों का पैदा होना ।


बहुभ्रूणता कितने प्रकार की होती है? Types of Polyembryony in hindi



बहुभ्रूणता छ: प्रकार की होती है -


( 1 ) Aporophytic Polyembryony


फूल पैदा होने के तुरन्त बाद इन्टेगुमैन्ट या न्यूसैली की बढ़ी हुई कोषाओं में एपोरोफाइटिक भ्रूण पैदा होने लगते हैं । ये कोषायें विभाजित होकर बढ़ती हैं तथा भ्रूण थैली में प्रक्षेप हो जाती हैं तथा एक अथवा अधिक भ्रूणों को पैदा करती हैं ।

ये रूपान्तरित भ्रूण या तो पूर्ण रूप से बन जाते हैं या फिर लैंगिक भ्रूण का स्थान ले लेते हैं । कुछ कायान्तरित पौधे जो मातृ पौधों से पैदा होते हैं, सामान्य रूप से टैट्राप्लोइड होतेे

( 2 ) Cleavage Polyembryony


जब जाइगोट अथवा किशोर भ्रूण दो अथवा अधिक समूहों में 'पृथक हो जाते हैं' तथा प्रत्येक व्यक्तिगत भ्रूण में विकसिो हो जाते हैं तो उसको Cleavage बहुभ्रूणता कहते हैं ।

जैसे - sequoi , cupressus, cryptomeril इत्यादि । चूकि सभी भ्रूण एक ही जाइगोट से पैदा होते हैं, अत: इनसे उत्पन्न पौधे आपस मे समान होते हैं। जैसे - अलसी

( 3 ) Simple Polyembryony


जिम्नोस्पर्म में साधारण बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) एक ही भैगास्पोर से बहुतायक संख्या में अंडे पैदा होने से होती है । यह अंडों का समूह स्पर्म से सम्बन्ध जोड़ लेता है ।

एक अथवा अधिक माइक्रोस्पोर्स से बहुतायक से स्पर्म पैदा होते हैं, जो अडे पैदा होने वाले स्थान के विपरीत बिन्दु पर भाइक्रोपाइल में उगते हैं 

( 4 ) Euploid Polyembryony


इस प्रकार की बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) में बहुत से भ्रूण होते हैं जो मोनोप्लॉइड तथा यूप्लॉइड को पैदा करते हैं । इसके अन्दर हाइपर (Hyper) तथा हाइपोलोइड्स (Hypoloids) भी सम्मिलित होते हैं ।

इसलिए इस बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) में भ्रूणों में कुछ असमानता के लक्षण पाये जाते हैं ।

( 5 ) Unclassified causes of polyembryony


यह स्पष्ट है, कि बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) हमेशा त साधारण क्रिया नहीं होती बल्कि कभी - कभी यह जटिल होती है एवं बहत से कारक एक गाय अथवा विभिन्न समयो पर इसको प्रभावित करते हैं ।

प्याज में पाँच भ्रूण एक ही भ्रूण थैली पूणता हमेशा सको प्रभावित काटल होती है एवं में पाये गये है।

( 6 ) True or False Polyembryony


Frost ( 1918 ) तथा Schnart ( 1929 ) ने बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) को दो में विभाजित किया विभाजित किया -

(i) True, (ii) False

इस आधार पर कि सभी पण एक ही भ्रूण थैली में पैदा होते हैं अथवा ओव्यूल में विभिन्न थैलियों में । दूसरी प्रकार की बहणता में विभिन्न भ्रूण विभिन्न भाग थैलियों से आते हैं ।

इसमें दो बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) थैली समानान्तर होती है तथा बाहरी उत्प्रेरक दोनों थैलियों पर लगभग समान प्रतिक्रिया करते हैं ।

फलोत्पादन में बहुभ्रूणता का महत्त्व ( Importance of Polyembryony in Horticulture )


1. पैतृक शुद्धता बनी रहती है (Clonal purity can be maintained)

2. समरूप मूल वृन्त पैदा करना (Production of uniform root stock)

3. विशुद्ध पौधे पैदा करने का सरल एवं सस्ता तरीका ( Easy and cheap way of obtaining true plants )

4. किशोरावस्था लक्षण , जैसे - वानस्पतिक ओज ( Vegetative vigour ) न्यूसेलर भ्रूणता में तुरन्त पुनः स्थापित की जा सकती है ।

5. बहुभ्रूणीय जातियों में एक भ्रूणीय की अपेक्षाकृत शाख ओज ( Scion vigour ) अधिक प्रविष्ट हो जाती है ।

6. पैतृक वाइरस से छुटकारा मिल जाता है, क्योंकि वाइरस बीज से हस्तान्तरित नहीं होता है ।

7. फलों की अच्छी किस्म पैदा की जा सकती है ।

8. बीज से उत्पन्न संतति कलिकायन संतति से अधिक समय तक जीवित रहती है ।

बहुभ्रूणता की कमियां ( Defects of Polyembryony in Hindi )


1 . विकास की छोटी अवस्था में न्यूसैलर तथा हाइब्रिड पौधे को पहिचानना कठिन होता है। 

2 . संकरण कार्य में नये शंकर जाति के पौधे को पैदा करने के लिए अधिक संख्या में पौधे पैदा करने होते हैं, जिसमें अधिक खर्च होता है ।

3 . न्यूसैलर भ्रूणता नई जातियों को पैदा करने में बाधक होती है ।

4 . नींब प्रजाति अथवा इसके समक्ष पौधों में पादप अभिजनन द्वारा विकास करना कठिन होता है ।

5 . आम के अन्दर बह भ्रूणीय जातियों में एक भ्रूणीय जातियों की अपेक्षाकृत उगने की प्रतिशत संख्या कम पाई जाती है ।

बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) के उपर्यक्त महत्त्व को देखते हुए हम कह सकते हैं, कि शद्ध लक्षणों वाले पौधे दा करने का यह एक सुगम एवं सस्ता तरीका है ।

साथ ही साथ रोपण तथा कलिकायन में सपा के मरने के भय को समाप्त किया जा सकता है ।

फलों में बहुभ्रूणता ( Polyembryony in fruits in hindi )


( 1 ) आम में बहुभ्रूणता ( Polyembryony in Mango in hindi )


आम की बहुत - सी जातियाँ बहुभ्रूणीय होती हैं, जो कि अतिरिक्त  भ्रूणों का उत्पादन न्यूसैलस, कोडीलीडन्स तथा हाइपोकोटाइल से करती हैं ।

( Mukerjee 1953 ) यह दशा फिलीपाइन्स में carabo जाति में देखी जाती है ।

इससे उत्पन्न पौधे अच्छा फल उत्पादन करते हैं । आम की कुछ जातियों में, जो जावा में पैदा की जाती हैं।

बहुभ्रूणता देखने को मिलती है, हवाइचन आम में बहुभ्रूणता स्वभाव के होते हैं ।

Williams ( 1936 ) ने बतलाया कि यह सत्य है कि बर्मा में आम की जातियाँ इस स्वभाव की होती हैं, जिनको बीज से उत्पन्न किया जाता है ।

Richards ( 1952 ) के अनुसार सीलोन में आम की दोनों प्रमुख जातियाँ जाफना ( Jaffna ) तथा रेसेदार कोहु अम्बा ( Fibrous Kohuamba ), जो मूलवृन्त के रूप में प्रयोग की जाती हैं, बहुभ्रूणीय स्वभाव की हैं ।

लेकिन दुर्भाग्य से आम की मुख्य जातियाँ एक भ्रूणीय स्वभाव की होती हैं ।

Sen तथा Malik ( 1940 ) के अनुसार बम्बई में लंगड़ा तथा फजली एक भ्रूणीय जातियाँ हैं, लेकिन इनकी मूसला जड़ से कुछ सूटस पैदा हो जाते हैं ।

आम की अलफैन्जी जाति 13 . 3 % तथा सफेदा 23 . 07 % बहुभ्रूणीय है ।

भारत में आम की बहुभ्रूणीय जातियाँ ( Polyembryonic Varieties of Mango in India )


बैलरी ( Ballary), बप्पा काई ( Bappakai ) तथा चन्द्र किरन ( Chandra Kiran ) Naik ( 1949 ) ये जातियाँ भारत के पश्चिमी डेल्टा में बहुभ्रूणीय हैं ।

गोवा ( Goa ), गोवा केसर गोद ( Goa Keshar God ) कुरेखम ( Kurakhan ) - Sen and Mallik ( 1940 ) ये जातियाँ भी भारत के पश्चिमी डेल्टा में बहुभ्रूर्णीय हैं ।

मजा गांव ( Maza gaon ) - Hayes ( 1953 ) ये पश्चिमी भारत में बहभ्रूणीय हैं ।

( Nileshwar dwarf ) Ranga Charlu ( 1955 ) यह दक्षिणी भारत में बहुभ्रूणीय है ।

ओलूर ( Olour ) - Oppen heimer ( 1947 ), Maheshwari etal ( 1955 ) यह दक्षिणी भारत में बहूभ्रूणीय हैं ।

( 2 ) नींबू प्रजाति के फल ( Citrus Fruits ) -


पूरे देश में नींबू को बीज से ही पैदा किया जाता है क्योंकि इसके बीज बहुभूणीय होते हैं, जो 3 - 4 पौधे प्रति बीज पैदा करते हैं ।

इनसे एक पौधा नर - मादा के संयोग से पैदा होता है, शेष न्यूसैलस कोशिका से ।

लैंगिक पौधा छोटा रह जाता है अथवा मर जाता है तथा शेष पौधे जो समान स्वभाव के होते हैं पृथक करके - लगा दिये जाते हैं ।

( 3 ) लोकट में बहुभ्रूणता 


बाजपेई ( 1949 ) ने बताया कि लोकाट के बीजों में बहुभ्रूणता (Polyembryony in hindi) पायी जाती है, जिससे पौधों में आपसी समानता होती है । इन पौधों से ठीक प्रकार से चुनाव करके अच्छे पौधे प्राप्त किये जा सकते हैं ।