बीज परीक्षण क्या है इसके उद्देश्य, महत्व एवं बीज परीक्षण करने की विधियां

बीज की गुणवत्ता के निर्धारण एवं मूल्यांकन के लिए किए जाने वाले सभी परीक्षणों को बीज परीक्षण (seed testing in hindi) कहा जाता है ।

किस्म की अनुवांशिक शुद्धता, अंकुरण क्षमता, भौतिक शुद्धता एवं आद्रता जैसे बीज गुणों की पहचान प्रयोगशाला परीक्षण विधियों के आधार पर की जा सकती है ।


बीज परीक्षण क्या है, इसकी परिभाषा लिखिए? (Defination of seed testing in hindi)


बीज परीक्षण की परिभाषा - "बीज की गुणवत्ता के परीक्षण के प्रक्रम को ही बीज परीक्षण (seed testing in hindi) कहते है ।"

"The process of testing the quality of seed is known as seed testing."

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बीज परीक्षण क्या है इसके उद्देश्य, महत्व एवं बीज परीक्षण करने की विधियां


इसके अंतर्गत बीज की भौतिक शुद्धता, अनुवांशिक शुद्धता, जीवन क्षमता, अंकुरण क्षमता, स्वास्थ्य, रंग, रूप, आद्रता, बीज, ओज, सहिष्णुता, यांत्रिक क्षति इत्यादि परीक्षण के जाते है ।

यह परीक्षण बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) के लिए आवश्यक होते है ।

परीक्षणों के आधार पर जो बीज निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप होता है, उसे उच्च गुणवत्ता वाला बीज (seed in hindi) कहा जाता है ।


बीज परीक्षण के उद्देश्य (Purpose of seed testing in hindi)


सन् 1924 में अन्तर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ (International seed testing association - ISTA) की स्थापना की गई ।

सन् 1928 में बीज परीक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय नियम पारित किये गये तथा बीज परीक्षण के उद्देश्यों की निम्न प्रकार व्याख्या की गयी है -

बीज परीक्षण का चरम उद्देश्य किसी भी प्रतिदर्श (sample) में से ऐसे बीजों का अनुपात निर्धारित करना है जो खेत की इष्टतम परिस्थितियों के अंतर्गत सामान्य पौधे उत्पन्न करने में समर्थ हो ।

बीज के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए इस बात पर बल दिया गया है कि बीजों की गुणता के निर्धारण के लिए कुछ परिणामों की समांगता तथा यथार्थता के लिए कुछ आवश्यक निर्देशों का पालन करना अभीष्ट होगा ।

अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ ने बीज परीक्षणों के लिए एक समान अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र जारी करने का प्रस्ताव किया ।

अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ ने बीजों की गुणवत्ता के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है ।


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इसकी उपलब्धियाँ निम्नलिखित है -

1. बीज परीक्षण के अंतर्राष्ट्रीय नियमों का निर्धारण एवं बीज परीक्षण की नई वैज्ञानिक तकनीकों का विकास ।

2. परीक्षण नियमों को लागू करने के लिए कार्य गोष्ठियों की व्यवस्था ।

3. अंतर्राष्ट्रीय बीज व्यापार के नियमन के लिए अंतर्राष्ट्रीय बीज विश्लेषण पत्रों का प्रारुप तैयार करना ।

4.बीज परीक्षण विषयों के लिये समितियों का गठन एवं संचालना

5. उच्च गुणवत्ता के बीजों के प्रयोग को बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ।

6. विकासशील देशों में बीज परीक्षण के लिए व्यवस्था करने में सहायता प्रदान करना ।

7. बीज परीक्षण सम्बन्धित सूचनाओं का प्रकाशन करना ।


उपयुक्त किस्मों के उच्च गुणता वाले बीजों के प्रयोग से सभी देशों में उत्पादन अत्यधिक बढ़ा है जिससे खाद्यान्नों की निरन्तर बढ़ती हुई मांग की पूर्ति हुई है ।

भारत में सर्वप्रथम बीज परीक्षण प्रयोगशाला सन् 1961 में भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान में स्थापित की गई । अब देश में 46 बीज परीक्षण केन्द्र है ।

इनसे उच्च कोटि के गुणता वाले प्रमाणित बीजों की उपलब्धता में सन्तोषजनक वृद्धि हुई है ।


1. सस्योतपादन का यथार्थ (accurate) आंकलन किया जा सकता है ।

2. बुआई के लिए बीज की ठीक मात्रा का निर्धारण किया जा सकता है क्योंकि बीज - ओज, बीज के स्वास्थ एवं बीजांकुरण की प्रतिशत का परीक्षण किया जाता है ।

3. बीज गुणता के स्तर के आधार पर विक्रय मूल्य का निर्धारण किया जा सकता है ।

4. फसल सुरक्षा का यथार्थ रूप से प्रबन्ध किया जा सकता है । परीक्षणों के आधार पर रोग एवं कीट प्रतिरोधता ज्ञात होती है ।

5. बीज के न्यूनतम मानकों का अनुरक्षण किया जा सकता है ।

बीज परीक्षण के आधार पर ही प्रमाणीकरण प्रमाण पत्र दिया जाता है, अतः बीज की गुणवत्ता निश्चित होती है ।


आधुनिक कृषि में बीज परीक्षण का महत्व (Importance of Seed Testing in hindi)


प्राचीन धारणा है कि "जैसा बोयेगा वैसा काटेगा" ।

अत: बीज कृषि के लिए बहुमूल्य होता है । उत्तम बीज की वास्तविक पहचान साधारण परीक्षणों से सम्भव नहीं है ।

हीन गुणवत्ता का बीज बोने के परिणामस्वरूप उपज तो घटती ही है धान्य भी घटिया व हीन गुणता का प्राप्त होता है । जिससे बाजार भाव भी कम प्राप्त होता है ।


जस्टिस (1972) के अनुसार,

संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1969 के संकलित आंकड़ों के आधार पर हीन गुणता वाले बीजों को बोने से कुल कृषि उत्पादन में 5 प्रतिशत की हानि हुई ।

भारत जैसे विकासशील देश में हीन गुणवत्ता वाले बीज के बोने से अत्यधिक हानि होती है ।

अत: वैज्ञानिक आधार पर बीज की उत्तमता का परीक्षण अत्यन्त आवश्यक है, जिससे कृषि उत्पादन में हीन गुणता एवं न्यून अंकुरणक्षम बीज बोने से होने वाली हानि से बचा जा सके ।


प्रमाणीकरण का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणता एवं शुद्ध आनुवंशिकता वाली उन्नत किस्म के बीज एवं प्रवर्धन सामग्री को उपलब्ध करना होता है ।

प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा किये गये क्षेत्र निरीक्षणों से उच्च आनुवंशिक शुद्धता एवं गुणता वाले प्रमाणित बीज की उपलब्धता सुनिश्चित होती है ।

बीज परीक्षण का प्रारम्भ 19 बीं शताब्दी में, अमेरिका व यूरोप के देशों में मिलावटी बीजों के विक्रय में अविवेकपूर्ण कार्यकलापों पर रोक लगाने के उद्देश्य से हुआ ।

बीजों में विभिन्न प्रकार की मिलावट एवं अंकुरण क्षमता कम होने से उत्पादन में अत्यधिक घटोत्तरी हुई, जिसके परिणामस्वरूप अनेक देशों में बीज, उत्पादन, बीज परीक्षण, बीज व्यापार पर अध्ययन एवं अनुसंधान का प्रारम्भ किया गया तथा बीज परीक्षण प्रयोगशालायें स्थापित की गयी जिससे बीजों की शुद्धता, गुणवत्ता तथा अंकुरण क्षमता का परीण किया जा सके ।


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बीज परीक्षण करने की विधियां (methods of seed testing in hindi)


बीज परीक्षण (Seed Tests) बीज परीक्षण का उद्देश्य बीज की शुद्धता एवं गुणता का उच्चतम स्तर पर अनुरक्षण होता है ।

इसके लिए निम्नलिखित परीक्षण किये जाते है -


( A ) बीज गुणता का नियमित परीक्षण ( Regular test of seed quality )

1. बीज की भौतिक शुद्धता का निर्धारण । (Estimation of the mechanical purity of seed)

2. अंकुरण क्षमता का परीक्षण । (Test of the germination capability)

3. आर्द्रता की मात्रा का परीक्षण । (Test of the moisture content)

4. आनुवंशिक शुद्धता का परीक्षण । (Test of the genetic purity of the seed)


बीज गुणता के इन चार परीक्षणों के अलावा कुछ अन्य विशिष्ट परीक्षण भी किये जाते है, जोकि निम्न है -


( B ) अन्य विशिष्ट परीक्षण ( Other Specific Tests )

1. बीज की जीवन क्षमता का परीक्षण । (Test of the viability of seed)

2. बीज स्वास्थ का परीक्षण । (Test of the seed health)

3. उत्पत्ति का निर्धारण । (Determination of origin)

4. आयतन एवं घनत्व का निर्धारण । (Determination of volume & density)

5. बीज - ओज का निर्धारण । (Determination of vigour)

6. रोग प्रतिरोधिता का निर्धारण । (Determination of disease resistance)

7. यांत्रिक क्षति का निर्धारण । (Determination of mechanical damage)

8. उपचार - प्रभाव का निर्धारण । (Determination of treatment effect)

9. समांगता का निर्धारण । (Determination of homogeneity)


बीज की भौतिक शुद्धता के निर्धारण की विधि


किसी किस्म के बीज की भौतिक शुद्धता के निर्धारण का ध्येय बीज ढेर के भौतिक संघटन को निर्धारित करना है ।


प्रतिदर्श या नमूना ( Sample ) -

प्रयोगशाला में प्राप्त किया हुआ नमूना सामान्यत: बड़ी मात्रा में होता है ।

यदि बीज ढेर से स्वमेव नमूना लेते हैं तो बीज ढेर में, भिन्न - भिन्न स्थानों पर हाथ डालकर (hand pushing) नमूने लेते है । बोरियों में से नमूना परखी या टरायर (trier) द्वारा लिया जाता है । इस प्रकार एकत्र किये नमूने को भौतिक नमूना (mechanical sampl) कहते है ।

इस नमूने को समांग रूप से हाथ से या मशीन द्वारा मिश्रित कर लिया जाता है । क्योंकि यह नमूना बड़ा होता है । अत: इसे छोटे नमूनों में विभाजित कर लिया जाता है ।

इसका विभाजन हाथ से करते है या बोरनर विभाजक या गैमट विभाजक मशीन से करते हैं । मशीन द्वारा मिश्रण प्रकार तथा विभाजन सरलता तथा अधिक ठीक होता है ।

इस से प्राप्त प्रतिदर्श को प्रतिनिधि या कार्यकारी (working sample or analytical sample) कहते है इसमें न्यूनतम बीजों की संख्या लगभग तीन हजार से पाँच हजार तक होनी चाहिए ।


शुद्धता परीक्षण ( Purity Test ) -

उपरोक्त प्रकार से तैयार किये गये प्रतिदर्श का नियमानुसार शुद्धता परीक्षण किया जाता है ।

इस प्रतिदर्श को दो उप - प्रतिदर्शों में अलग - अलग विश्लेषण के लिये विभाजित किया जाता है । दोनों का विश्लेषण करके दोनों के औसत के आधार पर परिणाम देते है ।

प्रतिदर्श को कार्यकारी बोर्ड (working board) पर रख लेते हैं तथा विश्लेषक चिमटी (forceps) तथा हैन्डलेन्स द्वारा चार घटकों में पृथक कर लिया जाता है -

( i ) शुद्ध बीज ( Pure seed )
( ii ) अन्य फसलों के बीज ( Other crop seed )
( iii ) खरपतवारों के बीज ( Weed seed )
( iv ) अक्रिय पदार्थ ( Inert matter )

शुद्धता के इन चारों घटकों को नियमों में परिभाषित किया गया है ।

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बीज की भौतिक शुद्धता के निर्धारण की विधि


शुद्ध बीज ( Pure seed ) -

शुद्ध बीज से तात्पर्य केवल उस निश्चित सम्बन्धित किस्म के बीजों से है इनमें सम्पूर्ण बीज तथा टूटे हुये बीजों के आधे से बड़े भाग सम्मिलित किये जाते है ।


अन्य फसलों के बीज ( Other Crop Seed ) -

अन्य फसलों तथा उस फसल को दूसरी किस्मों के बीजों को अन्य फसल के बीजों में सम्मिलित किया जाता है ।


खरपतवारों के बीज ( Weed Seed ) —

इसके अन्तर्गत, ऐसे पौधों के बीज या प्रवर्धन संरचनायें सम्मिलित की जाती है, जो नियमों के आधार पर खरपतवार के रूप में अधिसूचित किये गये है या जिन्हें सामान्य रूप से खरपतवार मानते है ।


अक्रिय पदार्थ ( Inert Matter ) -

इस वर्ग में रेत, तृण (straw), कंकड़, अष्टि (stone), दृढ़ पटल (sclerotia), अर्गट (ergot) जैसी संरचनायें सम्बन्धित किस्म के आधे से कम बीज तथा अन्य पदार्थ आते है ।

विश्लेषित प्रतिदर्श के चार घटकों को पृथक करने के पश्चात् इनको तोल लिया जाता है । तत्पश्चात् इनके अनुपात को प्रतिशत के रूप में व्यक्त करते है ।


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बीज के अंकुरण परीक्षण की विधि


अंकुरण परीक्षण का उद्देश्य बीजों के अंकुरित होने तथा पौधे उत्पन्न होने की बीज जैविक क्षमता का निर्धारण है । इसके द्वारा बीज की अंकुरण प्रतिशत का आंकलन किया जाता है ।

इस परीक्षण के लिए प्रतिदर्श (sample) भौतिक शुद्धता परीक्षण के शुद्ध घटक (components) से प्राप्त किया जाता है ।

आमतौर से, एक सौ बीजों के लेकर चार बार बीजों का परीक्षण करते है ।

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बीज के अंकुरण परीक्षण की विधि


बीजों को अंकुरण के लिये अनुकूल परिस्थितियों में रखते हैं अर्थात् उपयुक्त तापमान, पर्याप्त आर्द्रता तथा अन्य विशिष्ट आवश्यक निर्धारित परिस्थितियों में रखा जाता है जो कि बीजों के अंकुरण तथा प्रारम्भिक पादप वृद्धि के लिये उपयुक्त होती हैं ।

इसके लिये बीजों को अंकुरण कोष्टकों (germination cabinets) या तापमान नियंत्रित कोष्टकों (temperature controlled rooms or incubators) में रखा जाता है । अंकुरण परीक्षण में अंकुरण अवधि का निर्धारण भी करते है ।

अत: अंकुरण परीक्षण अवधि में अंकुरण का मूल्यांकन कई बार करते हैं ।


बीज परीक्षण में निम्न तथ्यों का निर्धारण किया जाता है -

( 1 ) आकारिक (morphological) एवं शरीर - क्रियात्मक (physiological) रूप से अकुरित सामान्य पौधों की संख्या ।
( 2 ) असामान्य पौधों की संख्या ।
( 3 ) मृत बीजों की संख्या
( 4 ) कठोर बीजों (hard seeds) की संख्या । 

( 5 ) प्रसुप्त बीजों (dormant seeds) की संख्या ।

अत्यधिक ऊतक क्षति के कारण अंकुरित न होने वाले बीजों को मृत बीज, बीजावरण की कठोरता के कारण जल अवशोषित न करने वाले बीजों को कठोर बीज की श्रेणी में रखा जाता है ।

सामान्य पौधों की अंकुरण प्रतिशत उस बीज की अंकुरण प्रतिशत कहलाती है ।


इसका आंकलन निम्न प्रकार किया जाता है -

अंकुरण प्रतिशत = सामान्य अंकुरित बीजों की संख्या/कुल बीजों की संख्या×100

अंकुरण परीक्षण काल में बीजों की सामान्य ओज (normal vigour) बीज रोग एवं कीट नाशकों इत्यादि का परीक्षण भी करना चाहिए, जिससे बीज की उत्तमता का ठीक निर्धारण किया जा सकता है ।


बीज की जीवन क्षमता - परीक्षण करने की विधि


बीजों की जीवन - क्षमता को शीघ्र ज्ञात करने के लिए टेट्रॉजोलियम परीक्षण विधि का विकास किया गया है । इसमें टेट्रॉजोलियम क्लोराइड (2, 3, 5 -triphenyl tetrazolium choloride) का प्रयोग किया जाता है । यह जल में विलेय तथा रंगहीन होता है ।

यह डिहाइड्रोजिनेस एन्जाइम (dehydroginase enzyme) के साथ क्रिया करके अविलेय लाल वर्णक (red pigment) बनाता है ।

बीजों को लगभग 12 घन्टे के लिये जल में भिगो कर रख दिया जाता है जिससे उनमें जैव क्रियायें सक्रिय हो जाती हैं । जीवित बीजों में डिहाड्रोजिनेस एन्जाइम सक्रिय हो जाता है ।

बीजों को मध्य को से विच्छेदित (dissected) कर देते हैं । जिससे भ्रूणीय ऊतक टेट्रॉजोलियम क्लोराइड के जलीय विलयन में लगभग 20° पर 4 घन्टे तक रख देते हैं ।

फिर बीजों को स्वच्छ जल में धोकर परीक्षण करतेहै । जीवित बीजों में डिहाइड्रोजिनेस एन्जाइम सक्रिय होते हैं ।

अत: उनमें लाल वर्णक ( red colour ) होता है । मृत बीजों या मृत कोशिकाओं में यह अभिक्रिया नहीं होती है जिससे अजीवित बीज रंगहीन रहते है ।

अत: इस परीक्षण में अभिरंजन अभिक्रिया के प्रतिरूप (pattern) द्वारा मूल्यांकन से जीवन क्षमता का निर्धारण किया जा सकता है ।


बीज के वास्तविक मान से आप क्या समझते है? (What do you understand by the real value of seed)

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बीज के वास्तविक मान

बीज का वास्तविक मान (Real Value of Seed) भौतिक रूप से शुद्ध अंकुरित बीज की प्रतिशत को बीज का वास्तविक मान कहते है ।

Real Value = Physical purity percentage×Germination percentage/100


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बीज की आर्द्रता परीक्षण की विधियां


आर्द्रता परीक्षण (Moisture Test) बीज के अनुरक्षण, संसाधन तथा भंडारण के लिये बीज में उपयुक्त आर्द्रता होना अति आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है ।

अत: प्रत्येक जाति के बीजों के लिये आर्द्रता की मात्रा के प्रमाणीकरण मानक स्थापित किये गये है । इन मानकों की पुष्टि के लिये आर्द्रता परीक्षण किये जाते हैं ।


आर्द्रता परीक्षण के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है -


( 1 ) भट्टी विधि ( Oven Method )

इस विधि में प्राप्त प्रतिदर्श के सामान्यतः दो कार्यकारी (working samples) बना लिये जाते हैं ।

प्रत्येक प्रतिदर्श का भार लगभग 5 ग्राम होना चाहिये । एल्यूमिनियम के खाली पात्रो का पहले भार ले लिया जाता है ।

प्रतिदर्श को इन भार लिये एल्यूमिनियम पात्र में भर लेते है तथा उनका रासायनिक तुला पर भार ले लिया जाता है ।

पात्रों को सतत् तापमान भट्टी (constant temperature oven) में उस बीज किस्म के निर्धारित तापमान पर निर्धारित अवधि के लिए खोल कर रखते है ।

उदाहरणत: प्याज, सरसों, तिल, कपास, मिर्च, सोयाबीज को 103 = 2°C तापमान पर 2-4 घन्टे रखते है । बीज को सुखा लेने के पश्चात् पुन: भार ले लिया जाता है ।


निम्नलिखित सूत्र के अनुसार आर्द्रता प्रतिशत ज्ञात कर ली जाती है -

Moisture percentage = (M2-M3)×100/M2-M1

Where,
M1 = weight of the aluminium foil.
M2 = weight of the sced before drying with aluminium cover foil.
M3 = weight of the seed after drying with aluminium cover foil.


( 2 ) विद्युत विधि ( Electrical Method )

इस विधि में विद्युत आर्द्रता मापी (electrical moisture meters) का प्रयोग किया जाता है । इसके लिए यूनीवर्सल (universal) तथा स्टीनलाइट (steinlite) आर्द्रता मापी उपलब्ध है ।


यूनिवर्सल नमी मापी (Universal moisture meter) -

परीक्षण किये जाने वाले निर्धारित मात्रा के प्रतिदर्श (sample) को एक इस्पात के प्यालेनुमा पात्र में रख देते है ।

इस प्याले के अन्दर का व्यास 1×5"/8 होता है तथा इसके अन्दर प्लास्टिक की बेलनाकार पर्त लगी होती है ।

प्याले को स्क्रीव प्रैस (screw press) की रैम (ram) के नीचे रखते है । प्रैस रैचैट लीवर से चलता है ।

हस्तचालित मैगर दबाये गये बीज के नमूने के आर - पार वोल्टता (voltage) उत्पन्न करता है । मैगर को चलाया जाता है ।

नमूने का विद्युत प्रतिरोध ओममापी (ohm meter) पर प्रदर्शित होता है जो कि डायनेमो मीटर (dynamometer) जैसा होता है ।

ओममापी का पाठ्यांक लिया जाता है । बीज का तापमान तापमापी पर लिया जाता है । इसमें बीज आर्द्रता परीक्षण करने में लगभग 1.5 मिनट लगती है ।