मृदा परिच्छेदिका (soil profile in hindi) - मृदा संस्तर क्या है इन परतों का वर्णन कीजिए

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मृदा परिच्छेदिका (soil profile in hindi) - मृदा संस्तर क्या है इन परतों का वर्णन कीजिए


मृदा की ऊपरी सतह से लेकर सबसे नीचे उपस्थित मौलिक चट्टानों तक की उर्ध्वाधर अनुभाग, जिसमें विभिन्न प्रकार के संस्तर एक दूसरे के ऊपर नीचे की ओर पाए जाते हो इन सभी संस्तरों के समूह को ही मृदा परिच्छेदिका (soil profile in hindi) कहते हैं ।

मृदा संस्तर क्या है? | soil horizon in hindi

मृदा परिच्छेदिका की भूत तथा वर्तमान दशाओं को व्यक्त करती है विभिन्न परतें जो स्पष्ट रूप से दिखाई देती हो या जिन्हें विश्लेषण के द्वारा पहचाना जा सकता हो मृदा संस्तर (soil horizon in hindi) कहलाती है ।

मृदा संस्तर की परिभाषा | defination of soil horizon in hindi

"मृदा पार्श्व दृश्य में उपस्थित विभिन्न परते जो एक दूसरे से स्पष्टतया गुणों एवं लक्षणों में भिन्न होती है संस्तरें कहलाती हैं।"

अध्ययन की सुविधा के लिए मृदा प्रोफाइल की परतों को पाँच मुख्य संस्तरों '0', ‘A’, ‘E’, ‘B' तथा 'C' में बाँटते हैं। इन संस्तरों को फिर उपसंस्तरो (sub-horizons) में बाँटते हैं ।

प्रोफाइल के 'A', 'E' तथा 'B' संस्तरो को मिलाकर सोलम (solum) कहते हैं।


मृदा संस्तर की विभिन्न परतों का अध्ययन


कार्बनिक संस्तर ( Organic horizon )

इसे 'O' संस्तर भी कहते हैं, जो खनिज संस्तरों के ऊपर पाया जाता है, जो पौधों एवं जन्तुओं के अवशेषों से बनता है । यह सामान्यतः वन क्षेत्र की मृदाओं में पाया जाता है।

इसमें तीन उपसंस्तर होते हैं-

  • O1 उपसंस्तर - इस उपसंस्तर में बिना सड़े गले कार्बनिक पदार्थ बिछावन के रूप में काफी मात्रा में पाये जाते हैं और इन्हें नंगी आँखों से पहचाना जा सकता है । ये प्रायः ठण्डे प्रदेशों, जंगलों, पहाड़ियों की घाटियों आदि में पाया जाता है ।
  • Oe उपसंस्तर - उपसंस्तर में आंशिक रूप से विघटित पदार्थ उपस्थित होने के कारण इसका रंग काला या बादामी होता है ।
  • O2 उपसंस्तर - इस उपसंस्तर में पूर्ण तथा विघटित पदार्थ पाया जाता है जिसे पहचाना नहीं जा सकता है । इसका रंग भी काला या बादामी होता है ।


A संस्तर ('A' Horizon)

यह सबसे ऊपरी खनिज संस्तर है जो कार्बनिक संस्तर ('0') के नीचे पाया जाता है। इस संस्तर में खनिजों के साथ-साथ कार्बनिक पदार्थ भी मिला होता है जिसके कारण इसका रंग काला होता है।


E संस्तर ('E' Horizon)

इसका निर्माण अपक्षालन (Leaching) विरंजन (Bleaching ) एवं निक्षालन (Eleviation) अभिक्रिया द्वारा मूल पदार्थों के आंशिक रूप से बाहर निकल जाने के कारण होता है। इसका रंग 'A' संस्तर की अपेक्षा हल्का होता है। इस संस्तर से Al2 O3, Fe20 एवं क्ले का निक्षालन (Eluviations) हो जाता है, जो जल में विलेय होकर भूमि की निचली परतों में चले जाते हैं तथा SiO, का सान्द्रण बढ़ जाता है।


EB संस्तर ('EB' Horizon)

अधिकांश मृदाओं में इस संस्तर का अभाव पाया जाता है। यह E तथा B संस्तरों के बीच उपस्थित एक अर्न्तवर्ती (Transitional) संस्तर होता है। इसके गुण B संस्तर की अपेक्षा E संस्तर से अधिक मिलते हैं।


BE संस्तर ('BE' Horizon)

यह E तथा B संस्तरों के बीच उपस्थित एक अन्तवर्ती संस्तर है, जो अधिकांश मृदाओं में अनुपस्थित होता है। इस संस्तर के गुण E संस्तर की अपेक्षा B संस्तर से अधिक मिलते हैं ।


B संस्तर ('B' Horizon)

इस संस्तर को Illuvial संस्तर भी कहते हैं। यह एक संचयन संस्तर है इसमें विभिन्न प्रकार के यौगिक एवं खनिज लवण A या E संस्तर से अपक्षालित होकर संचित होते हैं। इसमें क्ले, Fe2O3. ALO की उपस्थिति के कारण रंग बादामी से लाल भूरा होता है। समशीतोष्ण प्रदेशों में पायी जाने वाली Podzol मृदाओं में Fe2O3. Al, O3 एवं ह्यूमस का संचयन होता है। जबकि उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों की लेटराइट एवं लाल मृदाओं में SiO2 एवं अन्य लवण एकत्रित होते हैं। इस संस्तर की संरचना ब्लाकी या प्रिज्मीय होती है।


BC संस्तर ('BC' Horizon)

यह B और C संस्तरों के बीच एक अन्तवर्ती परत है जिसकी उपस्थिति अनिश्चित होती है।


'C' संस्तर ('C' Horizon or Parent Material)

इस संस्तर में कम विघटित एवं अपक्षयित मूल पदार्थ पाये जाते हैं। यह भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुणों में A, E तथा B के समान भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है। मृदा निर्माण प्रक्रियाओं द्वारा यह संस्तर क्रमश: B. E तथा A में परिवर्तित होते रहते हैं । इसलिए इसे मूल द्रव्य या पैतृक पदार्थ कहते हैं । इस संस्तर में जैविक प्रतिक्रियाएँ न होने के कारण मृदा निर्माणकारी कारकों का इस पर कम प्रभाव पड़ता है ।


कठोर चट्टान (Bed Rock)

'C' संस्तर के नीचे संगठित एवं दृष्टीभूत चट्टाने पायी जाती हैं, जो आधार चट्टाने (bed rocks) कहलाती है । आधार चट्टानों के ऊपर जो भी असंगठित एवं अदृष्टीभूत कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ पाये जाते हैं एक साथ संयुक्त रूप से रिगोलिथ (regolith) कहलाते हैं। जिसकी मोटाई मृदा निर्माणकारी कारकों पर निर्भर करती है ।


अधीन अन्तर (Subordinate Distinctions)

मुख्य संस्तरों में आगे अन्तर कुछ विशेष गुणों जैसे रंग या क्ले एवं लवणों के संचयन द्वारा उनके गुण-दोषों का करते हैं । इन अधीन अन्तरों की पहचान मुख्य संस्तर के साथ अंग्रेजी के छोटे अक्षर लिखकर करते हैं, जो विशेष गुण दोष प्रदर्शित करते हैं ।


पैडोन ( Pedon )

"वह छोटे से छोटा आयतन जो एक मृदा के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। यह मृदा प्रोफाईल के समान होता है लेकिन त्रिआयामी होता है। इसका आकार षठ कोणिय होता है। इसका क्षेत्रफल 1 मौ से 10 मी०2 तक होता है, जो मृदा की विभिन्नता पर निर्भर करता है ।"


पोलीपैडोन ( Polypedon or Soil Individual )

पैडोन के समूह को पोलीपैडान कहते हैं जो खेत में पास-पास होते हैं तथा गुणों में समानता रखते हैं मृदा वर्गीकरण में आधार इकाई या अलग मृदा इकाई के रूप में प्रयोग होते हैं।

पोलीपैडोन को निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते हैं -

“दो या दो से अधिक समान गुणों वाले पास-पास उपस्थित पैडोन, जो सभी एक मृदा श्रेणी की सीमा के अन्दर होते हैं सामान्यतः पोलीपैडोन (soil individual) कहलाता है।”


मृदा मोनोलिथ ( Soil monolith )

"मृदा प्रोफाइल का ऊर्ध्वाधर भाग खेत से निकाल कर अध्ययन/ प्रदर्शन के लिए रखने को मृदा मोनोलिथ कहते हैं।"

मृदा प्रोफाइल (soil profile in hindi) के स्थाई अभिलेख मृदा मोनोलिथ कहलाते हैं । मृदा मोनोलिथ, मृदा प्रोफाइल को धातु अथवा लकड़ी के बक्सों में ज्यों का त्यों मूल रूप में रखकर बनाये जाते है । इनको प्राकृतिक अवस्था में सुरक्षित रखने के लिए पारदर्शी विनाईल रेजिन का प्रयोग -या जाता है । मोनोलिथ, मृदा के प्राकृतिक गुणों को प्रदर्शित करते हैं तथा अध्ययन में हायक होते हैं । मृदा मोनोलिथ 6" x 2" x 48" या 60" आकार के धातु अथवा लकड़ी के क्सों में तैयार की जाती है । सूक्ष्म मोनोलिथ 3" x 1.5" x 1.2" आकार के छोटे बक्सों में चार की जाती है। इनको मृदा की खेत में प्राकृतिक अवस्था के अनुरूप कठिन परिश्रम से नाया जाता है । 


Disclaimer - Copyright © डॉ जोगेंद्र कुमार (विभागाध्यक्ष) कृषि रसायन विभाग
(आर० एम० (पी० जी०) कॉलेज गुरुकुल नारसन (हरीद्वार)