मृदा स्थूल घनत्व एवं कण घनत्व में क्या अंतर है | bulk density and particle density in hindi

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मृदा स्थूल घनत्व एवं कण घनत्व में क्या अंतर है | bulk density and particle density in hindi 


किसी मृदा के शुष्क आयतन के भार को स्थूल घनत्व (bulk density in hindi) जबकि ठोस मृदा के आयतन भार को कण घनत्व (particle density in hindi) कहते है ।

मृदा स्थूल घनत्व क्या है? | bulk density in hindi

शुष्क मृदा इकाई आयतन के भार को मृदा स्थूल घनत्व कहते है इसे आभासीय अपेक्षित घनत्व भी कहते है ।

मृदा स्थूल घनत्व = किसी ज्ञात आयतन वाली शुष्क मृदा का भार / उसी आयतन वाले जल का भार

यह घनत्व मृदा के भीतरी भाग में जल और वायु के समावेश से प्राप्त होता है अर्थात् यह मृदा के भीतर विद्यमान खनिज से मिश्रित जल और वायु का घनत्व है। स्थूलता घनत्व की इकाई ग्राम प्रति घन सेन्टीमीटर या पौंड प्रति घनफुट होती है।

किसी विशेष मृदा का आयतन भार मृदा के कणाकार, मृदा में उपस्थित जैव पदार्थ की मात्रा एवं दशा और मृदा सघनता तथा सरन्ध्रता आदि पर निर्भर करता है। सघन (compact) मृदाओं का स्थूलता घनत्व रंध्रयुक्त मृदाओं की अपेक्षा अधिक होती है। रेतीली मृदा के कण परस्पर सटे होने के कारण इसका आयतन-भार अधिक होता है ।

चिकनी मिट्टी और सिल्ट के कण बहुत छोटे एवं हल्के होते हैं जो परस्पर सघन नहीं होते। अतः इन मुदाओं का भार कम होता है । रेतीली मृदा का आयतन भार 1.4 से 1.8 तक होता है जबकि मटियार (क्ले), दोमट (loam) तथा सिल्ट मृदाओं का आयतन भार 1.1 से 1.6 तक होता है।

मृदा का स्थूल घनत्व कैसे ज्ञात करते है?

किसी मृदा का भार या आयतन - भार ज्ञात करने के लिए उसे सुखा लिया जाता है क्योंकि विभिन्न मृदाओं में विभिन्न प्रकार की नमी होती है । एक आयतन वाले बेलन को मृदा में धंसा दिया जाता है। इस मिट्टी से भरे बेलन को निकालकर इसकी मिट्टी की नमी उड़ाने के लिए आँच पर सुखा लेते हैं । इसे तोलने पर शुष्क मृदा का भार ज्ञात कर लेते हैं। इस भार को बेलन के ज्ञात आयतन से भाग देने पर प्राप्त भागफल मृदा का आयतन भार या स्थूलता घनत्व होता है।


स्थूलता घनत्व का क्या महत्त्व है? | importance of bulk density in hindi


स्थूल घनत्व का कृषि में महत्व -

  • यह मृदा में सघनता एवं सरन्ध्रता को प्रभावित करता है। जिस मृदा का स्थूलता घनत्व जितना अधिक होगा, वह उतनी ही अधिक सघन किन्तु उतनी ही कम संरध्र होती है। जिस मुदा का स्थूलता घनत्व जितना कम होगा, वह उतनी ही अधिक उसकी सरन्ध्रता होती है।
  • यह मृदा की भौतिक दशाओं को प्रभावित करती है। स्थूलता घनत्व अधिक होने पर ही मृदा की भौतिक दशाएँ अनुपयुक्त होती हैं। जिन मृदाओं का स्थूलता घनत्व जितना कम होता है उनके भौतिक गुण उतने ही अधिक उपयुक्त होते हैं।
  • स्थूलता घनत्व की सहायता से मृदा का भार ज्ञात किया जा सकता है। मृदा के स्थूलता के घनत्व को 62.42 से गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल मृदा का घन फुट अनुसार पौण्ड में भार होता है। क्ले और सिल्ट का भार 70 से 80 पौण्ड प्रति घन फुट और रेतीली मृदा का भार 90 से 100 पौण्ड प्रति घन फुट होता है ।


कण घनत्व क्या है? particle density in hindi

मृदा के ठोस भाग के इकाई आयतन के भार को कण घनत्व कहते हैं, इसे वास्तविक अपेक्षित घनत्व भी कहते है ।

यह घनत्व मृदा के उन भागों से सम्बन्ध रखता है जो खनिज तत्त्व हैं। इसी कारण कण घनत्व अधिक होता है। विभिन्न मृदाओं का कण घनत्व 2.5 से 2.7 ग्राम प्रति घन सेन्टीमीटर तक परिवर्तनीय होता है। अतः मृदाओं का औसत कण घनत्व 2. 65 ग्राम प्रति सेन्टीमीटर होता है।

Note- कण घनत्व मृदा संरचना एवं कणाकार पर निर्भर नहीं करता ।


कण घनत्व को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कोन से है?


मृदा के कण घनत्व को निम्न कारक (factors) प्रभावित करते हैं —

  • कार्बनिक पदार्थ की मात्रा - कार्बनिक पदार्थ का वास्तविक घनत्व 1.2 से 1-7 तक होता है जबकि मृदा का औसत वास्तविक घनत्व 2-65 होता है। अतः मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक होने पर मृदा कण घनत्व कम हो जाता है।
  • खनिजों के प्रकार और मात्रा - विभिन्न खनिजों के वास्तविक घनत्व भिन्न-भिन्न होते हैं। अधिक वास्तविक घनत्व वाले खनिजों की उपस्थिति से मृदा का कण घनत्व भी अधिक हो जाता है। मुदाओं में प्रायः क्वार्ट्स, फेल्सपार तथा क्ले खनिज होते हैं जिससे मृदाओं का घनत्व 2.6 से 2.7 तक रहता है।
  • मृदा प्रोफाइल की गहराई - प्राय: अ-संस्तर में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक होने के कारण इसका कण घनत्व स-संस्तर की मृदा की अपेक्षा कम होता है। अतः मृदा प्रोफाइल की गहराई अधिक होने से मृदा का कण घनत्व भी बढ़ जाता है।
  • फसल - फसल लेने के लिए मृदा में जुताई एवं गुड़ाई आदि की क्रियाएँ करनी पड़ती हैं जिससे मृदा का वायु संचार अच्छा हो जाता है। इससे मृदा में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ का विच्छेदन शीघ्रतापूर्वक होकर मृदा में इसकी मात्रा कम हो जाती है और मृदा का कण घनत्व बढ़ जाता है। अतः निरन्तर फसल उगाने से मृदा का कण घनत्व बढ़ जाता है।


कण घनत्व कैसे ज्ञात करते है?

किसी मृदा का घनत्व ज्ञात करने के लिए इसे 2 मिलीमीटर की चलनी से छानकर एक घन के आकार में दबाते हैं। इस प्रकार अधिकांश मृदा के ही कण होंगे और कणान्तरिक छिद्र कम हो जाएँगे। अधिक दबाव देने पर कणों की सघनता बढ़ जाती है। इन धन को पिघले हुए मोम में डुबोने पर इसके चारों ओर मोम जम जाता है। अब इस घन के अन्दर जल प्रवेश नहीं कर सकता। इन घन का आपेक्षिक घनत्व जल के ऊपर की ओर उछाल (up thrust) के नियम द्वारा ज्ञात करते हैं। यह मृदा का कण घनत्व होता है ।


Disclaimer - Copyright © डॉ जोगेंद्र कुमार (विभागाध्यक्ष) कृषि रसायन विभाग
(आर० एम० (पी० जी०) कॉलेज गुरुकुल नारसन (हरीद्वार) 

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