पिटवाॅं लौहा (wrought iron in hindi) क्या है यह कितने प्रकार का होता है इसकी प्रमुख विशेषताएं लिखिए

पिटवाॅं लौहा, wrought iron in hindi, पिटवाॅं लौहा क्या है, पिटवाॅं लौहा कितने प्रकार का होता है, पिटवाॅं लौहे का उपयोग कार्य, पिटवाॅं लौहे की विशेषताए
पिटवाॅं लौहा (wrought iron in hindi) क्या है यह कितने प्रकार का होता है इसकी प्रमुख विशेषताएं लिखिए

पिटवाँ लोहा (wrought iron in hindi) - कच्चे लोहे से कार्बन, गन्धक और फॉस्फोरस आदि पलटनी विधि द्वारा बाहर निकाल दिए जाते हैं । पिघले हुए लोहे को बेलकर वाष्प हथौडे से कूटा जाता है ।

यह आघातवर्ध्य, कम जंग लगने वाला होता है इस पर वेल्डन (welding) अच्छी तरह से होती है । नट, बोल्ट, तार, जरीब, कील (nails), आदि पिटवाँ लोहे से बनाये जाते हैं। यह लोहे का शुद्ध रूप है ।


पिटवाॅं लौहे की विशेषताएं | characteristics of wrought iron in hindi


पिटवाॅं लौहे की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है -

  • यह लोहा पलटनी भट्टी (puddling furnace) अथवा परावर्तनी भट्टी (reverberatory furnace) में कच्चे अथवा ढले (dig or cast) लोहे से कार्बन, गन्धक और फॉस्फोरस बाहर निकालकर प्राप्त होता है ।
  • इन भट्टियों की तली में लोहे की आक्साइड की परत बिछा दी जाती है और जैसे-जैसे भट्टी को गर्म किया जाता है ।
  • कार्बन-ऑक्सीकृत होकर बाहर निकल जाता है और सिलिकन द्वारा पिघला हुआ स्लैग (molten slag) बनता है जिसे कि उपर्युक्त विधि से उत्पन्न पिटे लोहे की छेदयुक्त गेंद (spongy ball) से भींचकर (squeezing) अलग कर दिया जाता है ।
  • पर्याप्त निपीड़न (squeezing), ठुकाई (hammering), बिछाई (roll- ing) तथा पुनः गर्म करने (reheating) के उपरान्त पिटवाँ लोह की छड़ें (bars) बना ली जाती हैं ।


पिटवाॅं लौहे के गुण | properties of wrought iron in hindi


पिटवाॅं लौहे के गुण -

  • पिटवाँ लोहा तन्य (ductile) होता है ।
  • यह अत्यन्त आघातवर्ध्य (malleable) होता है अर्थात् इसे पीटकर इसकी चादर तैयार की जा सकती है ।
  • यह आसानी से झुकाया तथा काटा जा सकता है।
  • इसमें छेद भी किया जा सकता है।
  • गर्म करके इसे हथौड़े से भी पीटा जा सकता है।
  • यह लोहा 816°C ताप पर ढाला जा सकता है।
  • इसे कभी पिघलाकर द्रव के रूप में नहीं बदला जा सकता ।


पिटवाँ लौहे की उपयोगिताएं | uses of wrought iron in hindi


पिटवाँ लौहे की कुछ प्रमुख उपयोगिताएं निम्नलिखित है -

  • पिटवाँ लोहा जंजीर, बोल्ट, नट, छड़ें तथा प्लेटें इत्यादि बनाने में प्रयोग किया जाता है ।
  • इसके रवे चाँदी की तरह सफेद और चमकदार होते है ।
  • इस लोहे में कार्बन की मात्रा अत्यंत कम (0.05 से 0.10 प्रतिशत) होती है ।
  • आजकल इस लोहे का स्थान मृदु इस्पात लेता जा रहा है क्योंकि पिटवाँ लोहा अपेक्षाकृत अधिक महँगा होता है ।
  • यह एक प्रकार का शुद्ध लोहा होता है ।
  • अशुद्धि के रूप में थोड़ी-सी मात्रा फॉस्फोरस, सल्फर तथा सिलिकॉन की होती है ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!