लिपिड (lipid in hindi) क्या है इनके गुण, वर्गीकरण एवं महत्व लिखिए

लिपिड (lipid) शब्द सबसे पहले ब्लूर ने 1943 (Bloor, 1943) में दिया था ।

वसा तथा वसा से सम्बन्धित सभी पदार्थ सामूहिक रूप से लिपिड (lipid in hindi) कहलाते हैं ।

लिपिड क्या है परिभाषा | definition of lipid in hindi

लिपिड (lipid in hindi) कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के बने योगिक होते हैं ।

लिपिड की परिभाषा - "प्रकृति में पाए जाने वाले वसा एवं वसा से सम्बन्धित वह सभी पदार्थ जो जल में घुलनशील तथा क्लोरोफॉर्म, ईधर व बेन्जीन इत्यादि में घुलनशील होते हैं, लिपिड्स (lipids in hindi) कहलाते है ।"

लिपिड के सामान्य गुण (properties of lipid in hindi) -

यह जल में अघुलनशील परन्तु ईधर, बेन्जीन तथा क्लोरोफॉर्म में विलेय होते हैं ।
यह वसीय अम्लों से बने एस्टर (esters) के समान यौगिक होते हैं अथवा ऐसे एस्टर बनाने की क्षमता रखते हैं ।
यह जीवधारियों (living organisms) द्वारा उपयोग में लाये जा सकते हैं ।

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लिपिड (lipid in hindi) क्या है इनके गुण, वर्गीकरण एवं महत्व लिखिए


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लिपिड्स का वर्गीकरण | classification of lipid in hindi


लिपिड्स मुख्यत: तीन प्रकार की होती है -

  • साधारण लिपिड ( Simple Lipid )
  • यौगिक या संयुक्त लिपिड ( Compound Lipid )
  • व्युत्पादित या व्युत्पन्न लिपिड ( Derived Lipid )


लिपिड्स के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं -


1. साधारण लिपिड्स ( Simple Lipids ) -

यह एल्कोल्हाॅल तथा वसीय अम्लों के एक एस्टर होते है । उदाहरणार्थ - उदासीन वसा, तेल तथा मोम ।

( i ) वसा (fat in hindi) -

  • वसा उच्च वसीय अम्लों के ग्लिसरोल के साथ बने एस्टर अर्थात् ट्राइग्लिसराइड होते हैं, जिनमें सन्तृप्त वसीय अम्ल भाग अधिक होता है ।
  • वसा में स्टियरिक अम्ल तथा पामीटिक अम्ल आदि सन्तृप्त उच्च वसीय अम्लों के ग्लिसराइड की मात्रा अधिक होती है ।
  • वसा साधारण तापमान (20°C) पर ठोस होते हैं ।


( ii ) तेल (oil in hindi) -

  • तेल उच्च वसीय अम्लों के ग्लिसरोल के साथ बने ट्राइग्लिसराइड होते हैं जिनमें असन्तृप्त उच्च वसीय अम्ल भाग अधिक होता है ।
  • तेल में ओलीक अम्ल तथा लिनोलिक अम्ल आदि असन्तृप्त उच्च वसीय अम्लों के ग्लिसराइड अधिक मात्रा में होते हैं ।
  • तेल साधारण तापमान ( 20°C) पर द्रव होते हैं ।


( iii ) मोम (waxes in hindi) -

  • मोम लम्बी श्रृंखला वाले संतृप्त तथा असन्तृप्त अम्लों के उच्च अणुभार वाले मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों के साथ बने मिश्रित एस्टर्स होते हैं ।
  • इनके वसीय अम्लों में कार्बन परमाणु प्रायः 14 से 36 तक और ऐल्कोहॉलों में C16 से C36 तक होते हैं ।
  • मधुमक्खी के मोम में पाए जाने वाले मिरिसिल पामीटेट का अणुसूत्र C15 H31 COOC30 H61 होता है ।

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2. यौगिक या संयुक्त लिपिड ( Compound Lipids ) -

यह ऐल्कोहॉल तथा किसी अन्य समूह के साथ वसीय अम्लों के एस्टर होते हैं । उदाहरणार्थ - फॉस्फोलिपिड, ग्लाइकोलिपिड, क्रोमोलिपिड तथा एमीनो लिपिड आते हैं ।

( i ) फॉस्फोलिपिड (phospholipids in hindi) -

  • फॉस्फोलिपिड में फॉस्फोरस फॉस्फोरिक अम्ल के एस्टर के रूप में होता है ।
  • ये ट्राइग्लिसराइड होते हैं जिनमें दो लम्बी श्रृंखला वाले उच्च वसीय अम्ल और एक फॉस्फोरस अम्ल अवशेष होता है ।
  • फॉस्फोरिक अम्ल अवशेष के साथ एक नाइट्रोजनीय भस्म सम्बद्ध रहता है ।

( ii ) ग्लाइकोलिपिड (glycolipids in hindi) -

  • ग्लाइकोलिपिड्स में फॉस्फोरस नहीं होता ।
  • ग्लाइकोलिपड के एक अणु में शर्करा (कार्बोहाइड्रेट) तथा नाइट्रोजनीय भस्म होता है इसमें प्रायः गैलेक्टोज शर्करा होती है ।
  • इनके जल अपघटन पर गैलेक्टोज, वसीय अम्ल तथा स्फिन्गोसीन बनते हैं ।


3. व्युत्पादित या व्युत्पन्न लिपिड ( Derived Lipids ) -

इनके अन्तर्गत सरल तथा यौगिक लिपिड्स के जल अपघटन से प्राप्त उच्च वसीय अम्ल, कोलेस्टीरॉल तथा उच्च अणु भार वाले अन्य ऐल्कोहॉल आते हैं ।

( i ) कोलेस्टीरॉल (cholesterol in hindi) -

  • यह व्युत्पादित लिपिड होता है ।
  • यह दूध में पाया जाने वाला प्रमुख स्टेरॉल है ।
  • यह दुग्ध वसा में 0.32% तक पाया जाता है ।
  • अन्य स्टेरॉल्स की भाँति यह एक बहुत अधिक अणुभार वाला मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल है ।
  • इसका अणुसूत्र C27 H45 OH है ।

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लिपिड्स का महत्व | Impotance of lipid in hindi


लिपिड्स का महत्व निम्नलिखित प्रकार से है -

1. वसीय अम्लों का पोषकीय महत्त्व (nutritional importance) -

  • लिनोलीक, लिनोलिनिक तथा ऐराकिडॉनिक अम्लें आदि असन्तृप्त वसीय अम्लें सामान्य वृद्धि एवं विकास के लिये आवश्यक वसीय अम्ल होते हैं ।
  • इन बहु असन्तृप्त अम्लों को जन्तु शरीर संश्लेषित नहीं कर सकते ।
  • अतः जन्तु इन तीनों अम्लों की आवश्यकता पूर्ति हेतु अपने आहार पर निर्भर करते हैं ।
  • चूहों के आहार में इन अम्लों के न होने से उनकी वृद्धि कम होती है, त्वचा पर धब्बे पड़ जाते हैं और अण्डाणु उत्पादन में अनियमितता आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं ।
  • विटामिन B6 की कमी से होने वाले त्वचा रोग के लिये ये आवश्यक वसीय अम्ले रोगहर के रूप में अत्यन्त लाभकारी होते हैं ।
  • आवश्यक वसीय अम्लों के अभाव में बछड़ों, बकरियों, सुअरों तथा कुक्कटों आदि फार्म पशुओं में भी उपरोक्त अभाव लक्षण देखे जाते हैं ।
  • लिनोलिनिक अम्ल चूहों में सामान्य दुग्ध - स्रवण तथा प्रजनन के लिए अत्यावश्यक होता है ।
  • अतः पोषण की दृष्टि से वसीय अम्ल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होते हैं ।


2. भोजन में काम आने वाले तेलों का महत्व -

  • सरसों तथा तिल आदि के तेल जो भोजन बनाने में प्रयुक्त किये जाते हैं ।
  • तेलों में असंतृप्त उच्च वसीय अम्लों के ग्लिसराइड होते हैं ।


3. मोम की उपयोगिता -

  • पैराफिन मोम पेट्रोलियम से प्राप्त होता है ।
  • पैराफिन मोम तथा स्टियरिक अम्ल से मोमबत्तियाँ बनायी जाती हैं ।
  • मोम से कान्तिवर्धक पदार्थ तथा फर्श व फर्नीचर की पॉलिश बनायी जाती हैं ।
  • मोम पत्तियों, फलों तथा त्वचा में पतले आवरण के रूप में रहता है और उनके पृष्ठ से पानी की हानि और सूक्ष्म जीवों के आक्रमण से उनकी रक्षा करता है ।